दलित मतदाता के सामने उलझन
उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए हो रहे चुनावी रण में बसपा प्रमुख की चुप्पी मतदाताओं को असमंजस में डाल रही है। दलित वोटों के सहारे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वालीं मायावती लंबे समय से अपने परंपरागत वोटरों को बांधे हुए हैं लेकिन विधानसभा मिशन 2022 को लेकर दलित परेशान हैं।
दलित बाहुल्य सीट पर यहां विकास के मुद्दे को लेकर जनता मतदान को तैयार है। विधायक विजयपाल अपने पांच साल के कार्यकाल में किए गए कार्यो के बूते जनता से वोट मांग रहे हैं, वहीं उनका दलितों की बस्ती मीनाक्षी रोड पर रहना भी मजबूती प्रदान करता है लेकिन यहां बसपा से चुनाव लड़ रहे मनीष सिंह उर्फ मोनू नगरपालिका अध्यक्ष चुनाव में भाजपा से महज 600 वोटों से हुई हार को लेकर अति उत्साहित हैं।
इसके अलावा लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को विधानसभा क्षेत्र में प्राप्त कम मतों को लेकर भी बसपा खुश है। वहीं रालोद गठबंधन उम्मीदवार गजराज सिंह भी दलित मतों में सेंध लगाने में लगे हैं। बहन जी की चुप्पी का फायदा उठाकर सभी उम्मीदवार जीत की कोशिश में जुटे हैं। भाजपा विरोधियों का कहना है कि बसपा शासन में सितम्बर 2011 में बना जिला हापुड़ विकास की दौड़ में पिछड़ा हुआ है क्योंकि एचपीडीए अभी महायोजना 2005 पर ही कार्य कर रहा है जबकि प्राधिकरण की स्थापना 1990 के दशक में हो गई थी। इसके बाद प्राधिकरण विकास का खाका तैयार कर रहा है। सपा के कार्यकाल में महायोजना 2021 की फाइल लखनऊ गई थी। एनसीआर बोर्ड एवं एचपीडीए द्वारा तैयार महायोजना 2031 के मास्टर प्लान की दिसम्बर 2021 में स्वीकृति के बाद फाइल मेरठ कमिश्नरी में अटकी हुई है।
विधायक विजयपाल ने बताया की आचार संहिता के कारण फाइल रुकी थी। संहिता समाप्त होते ही प्लान 2031 को मंजूर मिल जाएगी। वहीं जनपद में बड़ी औद्योगिक इकाइयों के न लगने का मुख्य कारण प्लान 2005 के तहत कार्य होना है जिस कारण बाहरी उद्योग कहां लगने हैं किसी को मालूम नहीं हैं। प्राधिकरण की आनंद बिहार आवासीय योजना का किसान आज भी विरोध कर रहे हैं। मतदाताओं के सवालों से सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक को रूबरू होना पड़ रहा है। रालोद सपा के गजराज सिंह भी विकास में पिछड़ने का मुख्य कारण भाजपा को बताते हैं।
यहां दलित वोटर ही विधायक चुनने में मुख्य भूमिका निभाएंगे। दलित मुसलिमों के बूते विधानसभा में पहुंचने की चाहत मदन को बसपा में लाई है क्योंकि इन्हीं बिरादरियों की वोटों की बदौलत हापुड़ के कुंवर दानिश अली गढ़मुक्तेश्वर अमरोहा सांसद चुने गए हैं। यहां नगरपालिका अध्यक्ष का चुनाव भी बसपा के सोना सिंह ने भाजपा से जीता था। इसी कारण भाजपा ने विधायक कमल मलिक का टिकट काटा है जबकि बसपा यहां से कभी विधानसभा नहीं जीत पाई है।
इसके अलावा धौलाना विधानसभा सीट पर बसपा विधायक असलम चौधरी पार्टी छोड़कर सपा उम्मीदवार बन गए हैं। मुसलिम बाहुल्य धौलाना में असलम को फिर विधायक बनने की चाह उन्हें सपा में ले आई है। बसपा का कमजोर उम्मीदवार होने का लाभ यहां भाजपा एवं सपा उठाना चाहती हंै। दलित वोट यहां भी निर्णायक होंगे लेकिन प्रथम चरण में 10 फरवरी को होने वाले मतदान को लेकर मायावती का सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ कुछ ना बोलना दलितों के गले नहीं उतर रहा है।
सौजन्य : Jansatta
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