बीएचयू मनुस्मृति दहन विवाद : अधिवक्ताओं ने पुलिस आयुक्त से छात्रों पर लगे फर्जी आरोप हटाने की मांग की

अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाराणसी के पुलिस आयुक्त से मुलाकात कर बीएचयू से गिरफ्तार छात्रों पर दर्ज फर्जी आरोप को हटाने की मांग की है। अधिवक्ताओं ने छात्रों पर लगाई गई मनगढ़ंत, गंभीर और गैर जमानती धाराओं को हटाने तथा मामले की जांच डीसीपी स्तर के अधिकारी से कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आयोजित ‘मनुस्मृति दहन दिवस’ पर चर्चा के दौरान 13 छात्रों की गिरफ्तारी ने बनारस समेत पूरे देश को चौंका दिया है। इस घटना को लेकर तमाम प्रबुद्ध नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र इस मुद्दे पर प्रशासन, पुलिस और सरकार की नीतियों के खिलाफ हैं।
अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाराणसी के पुलिस आयुक्त से मुलाकात कर बीएचयू से गिरफ्तार छात्रों पर दर्ज फर्जी आरोप को हटाने की मांग की है। अधिवक्ताओं ने छात्रों पर लगाई गई मनगढ़ंत, गंभीर और गैर जमानती धाराओं को हटाने तथा मामले की जांच डीसीपी स्तर के अधिकारी से कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने वाराणसी के जिला कारागार के अधीक्षक से भी मुलाकात कर जेल के अंदर छात्रों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को रोकने की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल ने जेल अधीक्षक को 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा, जिसमें निम्नलिखित मांगें शामिल हैं:
1) छात्रों से मिलने के लिए 200 रुपये प्रति व्यक्ति रिश्वत मांगने वाले और पैसे न देने पर छात्रों के साथ मारपीट करने की धमकी देने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए।
2) छात्रों को जेल मैनुअल के अनुसार सुविधाएं दी जाएं।
3) छात्रों को अलग बैरक में रखकर उचित माहौल और पढ़ाई की सुविधा दी जाए।
4) घायल और बीमार छात्रों का मेडिकल परीक्षण कराकर उनका इलाज कराया जाए।
5) विद्यार्थियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार न किया जाए।
प्रतिनिधिमंडल में अधिवक्ता प्रेमप्रकाश सिंह यादव, अधिवक्ता रामदुलार प्रजापति, अधिवक्ता राजेश कुमार यादव, अधिवक्ता सुशील कुमार, अधिवक्ता कमलेश यादव, अधिवक्ता सत्यप्रकाश, अधिवक्ता वीरबली सिंह यादव, अधिवक्ता अवधेश, अधिवक्ता अजीत सिंह यादव, अधिवक्ता श्रीदत्त, अधिवक्ता राकेश शामिल थे।
ज्ञात हो कि बीएचयू में 25 दिसंबर को भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा द्वारा मनुस्मृति दहन दिवस पर एक चर्चा का आयोजन किया गया था। इस ऐतिहासिक दिन का महत्व इस बात में है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1927 में इसी दिन मनुस्मृति को जलाया था। भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के सदस्य इसी विषय पर चर्चा के लिए इकट्ठा हुए थे। चर्चा के दौरान बीएचयू प्रॉक्टोरियल बोर्ड के गार्ड्स ने आकर छात्रों से बदसलूकी की और उन्हें घसीटते हुए प्रॉक्टोरियल बोर्ड ऑफिस ले गए। शाम करीब 7:30 बजे छात्रों को वहां बंद कर दिया गया।
बाद में 26 दिसंबर 2024 को भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के 13 सदस्यों पर गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस दौरान छात्रों को शारीरिक चोटें पहुंचाई गईं, उनके कपड़े फाड़ दिए गए और चश्मे तोड़ दिए गए। जो भी छात्र उनकी मदद के लिए पहुंचे, उन्हें भी धक्का-मुक्की और मारपीट का सामना करना पड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार, बीएचयू के गार्ड्स और वाराणसी पुलिस ने छात्रों को कई तरह की धमकियां दी थीं जिनमें “भविष्य खराब करने” और “देख लेने” जैसी धमकियां शामिल थीं। यह सभी कार्रवाई आर्ट्स फैकल्टी, बीएचयू में आयोजित ‘मनुस्मृति दहन दिवस’ की चर्चा के दौरान हुई। आरोप है कि गिरफ्तार छात्रों के साथ पुलिस और प्रॉक्टोरियल बोर्ड से जुड़े छात्रों के साथ मारपीट की। सभी को रात भर लंका थाने में बंद रखा गया और उन्हें अपने वकीलों तक से मिलने नहीं दिया गया था।
सौजन्य:सबरंग इंडिया