MGNREGA: आज 6 दिसंबर को जंतर मंतर पर नरेगा संघ मोर्चा ने विरोध प्रदर्शन का किया एलान, जानिए मनरेगा की जमीनी हकीकत

कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल ने कहा था कि देश भर में पिछले चार वर्षों में मनरेगा योजना के तहत 10.43 करोड़ जॉब कार्ड हटाए गए हैं और जानना चाहते थे कि क्या यह आधार आधारित भुगतान प्रणाली की शुरूआत के कारण हुआ है जो 1 जनवरी, 2024 से अनिवार्य कर दिया गया है।
मनरेगा के झूठे दावों से नाराज होकर नरेगा संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। यह दो दिवसीय प्रदर्शन कल 5 दिसंबर और आज 6 दिसंबर को जंतर मंतर पर किया जा रहा है। नरेगा संघर्ष मोर्चा ने बुधवार 4 दिसंबर को प्रेस कल्ब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी। यह प्रतिक्रिया केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी के संसद में हुई बहस के बाद आई। कथन में दावा किया गया कि पिछले दस वर्षों में एनडीए सरकार के दौरान मनरेगा योजना के लिए धन आवंटन में काफी वृद्धि देखी गई है। इसके साथ ही मनरेगा जॉब कार्ड को हटाने के सम्बन्ध में सवाल जवाब हुए। इस प्रदर्शन में योजना के लिए सरकार द्वारा मिलने वाले बजट और जॉब कार्ड को हटाने से सम्बन्धित यह प्रदर्शन किया जायेगा। सरकार भले मनरेगा की तरफदारी कर लें लेकिन असली जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
इस समय संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा है। संसद के मंगलवार 3 दिसंबर 2024 के शीतकालीन सत्र में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी और कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के बीच मनरेगा में जॉब कार्ड को लेकर सवाल जवाब हुए।
जॉब कार्ड को लेकर संसद में बहस
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल ने कहा था कि देश भर में पिछले चार वर्षों में इस योजना के तहत 10.43 करोड़ जॉब कार्ड हटाए गए हैं और जानना चाहते थे कि क्या यह आधार आधारित भुगतान प्रणाली की शुरूआत के कारण हुआ है जो 1 जनवरी, 2024 से अनिवार्य कर दिया गया है।
आगे उन्होंने कहा, “2021-22 में 1.43 करोड़ श्रमिकों के नाम हटाए गए। 2022-23 में 5.53 करोड़, जिसके परिणामस्वरूप नाम हटाने में 247% की वृद्धि हुई। 2022-23 की यह अवधि केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा में आधार-आधारित भुगतान प्रणाली को अनिवार्य करने वाले कई परिपत्रों को जारी करने के साथ मेल खाती है।”
इसके जवाब में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा “कुल सक्रिय जॉब कार्डों की संख्या लगभग 9.2 करोड़ है। 2022-23 में 65 लाख और 2023-24 में 50 लाख जॉब कार्ड जारी किए गए, तो कुल सक्रिय जॉब कार्ड 9.79 करोड़ हैं। आप जिस संख्या की बात कर रहे हैं, वह कहां है कि 2 करोड़ जॉब कार्ड हटाए जा रहे हैं?”
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत जॉब कार्डों को हटाने में केंद्र सरकार का कोई हाथ नहीं है और इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती हैं।
आपको बता दें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा) जो ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों के काम की गारंटी देता है।
उत्तर प्रदेश में मनरेगा जॉब कार्ड पड़े हैं खाली
खबर लहरिया की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के कई ऐसे गांव हैं जहाँ मनरेगा के तहत मजदूरों को काम तो मिला लेकिन समय से उनका पैसा नहीं मिला। उनके पास भी जॉब कार्ड तो लेकिन कोरे (खाली) पड़ें हैं।
नरेगा संघर्ष मोर्चा द्वारा प्रेस रिलीज़ में इस बात को लिखा गया है कि प्रसिद्ध ज्यां ड्रेज ने बताया कि मजदूरों का वेतन में समस्या तभी उतपन्न होती है जब केवल फंड ट्रांसफर आर्डर द्वारा किया जाता हो लेकिन फिर भी श्रमिकों के खातों में उनका वेतन हफ़्तों या महीने में मिल जाता है। लेकिन सच्चाई कुछ और कहती है जिसका उदाहरण यूपी के बाँदा जिले में हलवाई पुरवा गांव की रहने वाली राजाबाई द्वारा सामने आई। जहां वे कहती हैं, “इस पंचवर्षीय तो उनको मनरेगा का काम मिला ही नहीं, पर पिछले पंचवर्षीय मनरेगा में काम किया था। हमारे जॉब कार्ड में अभी तक जो काम किया है उसका पैसा नहीं आया है। हम लोगों ने मनरेगा के तहत खंती खोदने का काम किया था। यहां सभी लोग मजदूर हैं और सब काम करना चाहते हैं, लेकिन प्रधान उनके गांव का विकास तो करता ही नहीं है। प्रधान उनको रोजगार भी नहीं देता जॉब कार्ड बने हुए हैं लेकिन जब काम नहीं मिलता तो ऐसे जॉब कार्ड का क्या फायदा है।अभी हाल ही में उनके गांव के पास खेतों में बंधी डली है जोकि जेसीबी से प्रधान द्वारा डलवा दी गई है। मनरेगा का काम है, तो मजदूर से होना चाहिए था।”
प्रेस रिलीज़ में इस बात को बताया गया कि बजट ख़त्म होने पर मजदूरों को काम मांगने पर साफ़ मना कर दिया जाता है। जिससे मजदूरों को जो मनरेगा में काम मिलने की उम्मीद होती है वो अधूरी रह जाती है, क्योंकि उनके लिए यही एक जरिया है जिससे वे अपने परिवार का जीवनयापन कर सकते हैं। खबर लहरिया की रिपोर्ट में भी मनरेगा में करने वालों मजदूरों ने इस सच्चाई को बताया है।
नरेगा संघ मोर्चा ने मनरेगा में मिलने वाले वेतन में बढ़ोत्तरी पर भी प्रकाश डाला है। उनकी मांग है कि मनरेगा में श्रमिकों को बढ़ती महंगाई को देखते हुए प्रतिदिन का 800 रुपए मिलना चाहिए।
वाराणसी में मजदूरों को नहीं मिला मनरेगा का पैसा
खबर लहरिया की साल 2024 के पिछले महीने नवंबर में रिपोर्टिंग के दौरान ये बात निकल कर आयी कि वाराणसी के चोलापुर ब्लॉक में मनरेगा मजदूरों को उनकी मजदूरी का पूरा भुगतान नहीं मिलने से मजदूरों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वाराणसी के सुंगलपुर गांव की रहने वाली शीला कहती हैं कि, “16 दिन का पैसा नहीं मिला है। ठंडी में काम किया था फिर से ठंडी आ गई। प्रधान ने कहा पैसा खाता में चला गया लेकिन खाता में पैसा नहीं आया है।”
वाराणसी के चोलापुर के खंड विकास अधिकारी शिवनारायण सिंह का कहना है कि सभी की मजदूरी अब ऑनलाइन भेजी जाती है, लेकिन कभी-कभी थोड़ा आगे पीछे पेमेंट हो जाता है लेकिन कभी रुकता नहीं है। अगर कुछ लोगों की मजदूरी रुकी है तो वो लिखित में हमें दे हम अपनी तरफ से जाँच करवाएंगे किस वजह से ये दिक्कत हुई है।
खबर लहरिया की पिछले साल 2023 में की गई रिपोर्टिंग में बिहार के सारण जिले से मनरेगा में काम न मिलने वाले ग्रामीणों की परेशानियां सामने आई। उनका कहना है बरसात हो या गर्मी काम नहीं मिलता है जबकि हम सोचते हैं काम मिले। सारण जिले से कोरांव गांव के छोटे लाला ने कहते हैं उन्हें काम नहीं मिलता और मिलता है तो 100 रुपए मिलता है। बैठने से क्या फायदा हर दिन मिले तो बात है।
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ग्रामीण नौकरी गारंटी कार्यक्रम के तहत मजदूरी दरों में बढ़ोतरी को अधिसूचित किया है, जिसमें हरियाणा में सबसे अधिक दैनिक मजदूरी ₹357 प्रति दिन और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबसे कम ₹221 तो वहीँ बिहार में 228 रुपए हैं।
अब इतनी महंगाई में इतने कम पैसों में घर कैसे चलाएगा कोई? सरकार की तरफ से भी इतने कम पैसे मजदूरों के लिए तय है और वहीं ग्रामीण स्तर पर काम करवाने वाले ठेकेदार बेईमानी करे हैं और सिर्फ मजदूरों को 50 या 100 रुपए ही हाथ में देते हैं।
इस साल 23 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्त वर्ष बजट 2024-25 के लिए मनरेगा योजना के लिए 86,000 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की थी। मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों का आरोप है कि कभी काम मिलता है और कभी मनरेगा में काम तो मिलता है, लेकिन समय पर मजदूरी नहीं मिलती और जॉब कार्ड के बावजूद काम के मौके नहीं मिलते। उत्तर प्रदेश, बिहार, और वाराणसी जैसे क्षेत्रों में मजदूरों को लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वेतन में भी उचित वृद्धि नहीं हुई है, जबकि महंगाई बढ़ रही है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने मनरेगा के लिए बजट तो बढ़ाया है, लेकिन जमीनी हकीकत में मजदूरों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। नरेगा संघर्ष मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि वे मजदूरी बढ़ाकर ₹800 प्रति दिन करें और यह सुनिश्चित करें कि मजदूरों को समय पर उनका वेतन मिले।
सौजन्य: खबर लहरिया
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