देहरादून के फाउंडेशन ने उठाई थर्ड जेंडर के लिए आवाज, बोले – ‘परिवार का भी सपोर्ट नहीं…’
Dehradun: देहरादून का ‘द वॉयस ऑफ वॉरियर्स फाउंडेशन’ थर्ड जेंडर के लिए लंबे समय से आवाज उठा रहा है.
हिना आज़मी :
देहरादून: देश को आजाद हुए सात दशक बीत चुके हैं. समाज का हर तबका और हर वर्ग अपने विकास के लिए काम कर रहा है, लेकिन वहीं थर्ड जेंडर को आज भी कई दिक्कतें झेलनी पड़ रही है. अमेरिका में ट्रांसजेंडर को लेकर जून के महीने में एक आंदोलन हुआ था, जिसकी याद में देहरादून के द वॉयस ऑफ वॉरियर्स फाउंडेशन हर साल की तरह इस साल भी उनकी याद में ड्राइव चला रहा है.
क्या बोलीं फाउंडेशन की अध्यक्ष
देहरादून में एलजीबीटी समुदाय के लिए ‘द वॉयस ऑफ वॉरियर्स फाउंडेशन’ काम कर रहा है, जिसकी अध्यक्ष बीना रानो ने बताया कि यह संस्था एलजीबीटी समुदाय के साथ महिलाओं और बच्चों के लिए भी काम करता है. जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. उन्होंने कहा है कि थर्ड जेंडर को आज भी नीचा समझा जाता है. दूसरों की तो दूर की बात है परिवार का भी सपोर्ट नहीं मिलता है.
अधिकारों के बारे में कही ये बात
फाउंडेशन की अध्यक्ष अधिकारों की बात करते हुए कहती हैं कि आजाद हुए सालों हो गए, लेकिन हमें साल 2019 में मानो आजादी मिली. जब सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हमें समानता का अधिकार मिला. वो कहती हैं, ‘हमें समाज अभी भी एक्सेप्ट करने के लिए तैयार नहीं है. सिर्फ अधिकार कागजों तक ही सीमित रह गए हैं. अमेरिका में जून 1952 में ट्रांसजेंडर के अधिकारों के लिए एक ट्रांस महिला वर्जीनिया ने ‘ट्रांसवेस्टिया : द जर्नल ऑफ द अमेरिका सोसाइटी फ़ॉर इक्वलिटी इन ड्रेस’ करके आंदोलन की शुरुआत की थी. उस दौरान इस समुदाय से जुड़े लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन समेत सभी मौलिक आवश्यकताओं की लड़ाई के साथ- साथ भेदभाव और हिंसा न करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे थे.’
ऐसे शुरू हुआ था फाउंडेशन
संस्था की सचिव आशी सरकार ने बताया कि वह चंडीगढ़ की रहने वाली हैं. लेकिन देहरादून पढ़ने के लिए आई थी. स्कूल- कॉलेज के दौरान उन्होंने कई मुश्किलें देखीं. अपने ही समुदाय को संघर्ष करते और मानसिक उत्पीड़न झेलते देखा. फिर इन सभी मे मिलकर यह फाउंडेशन बना दिया. उन्होंने कहा कि समाज के लिए ट्रांसजेंडर होना एक अभिशाप है, लेकिन हम साबित करना चाहते हैं कि हम भी अपने समाज के लिए जरूरी हैं जितने कि पुरुष या महिलाएं.
सौजन्य: न्यूज़18
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