40 साल से काबिज घर को तोड़कर सरकार ने दिया दलित विरोधी होने का संदेश – विभिन्न संगठनों ने जताया रोष

बीपीएल दलित परिवार की महिलाएं व बच्चे प्रचंड गर्मी में खुले नीले आसामन के नीचे रहने को हैं मजबूर गांव महासर में 40 साल पुराने घर को तोड़ फोड़ कर प्रशासन ने किया बेदखल, आग लगाने से घर का सामान जलकर हुआ राख पीडि़त परिवार ने सरपंच पर वोट नहीं देने पर रंजिश के कारण उजाड़ऩे का लगाया आरोप
अटेली खंड के गांव महासर में बीपीएल दलित परिवार के 40 साल से काबिज घर को पंचायत व प्रशासन द्वारा तोड़ फोड़ कर बेदखल करने और आग लगने से घर का समस्त सामान राख होने के संगीन मामले में सर्व अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के प्रधान चन्दन सिंह जालवान, महासचिव बिरदी चंद गोठवाल, अखिल भारतीय आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष लाला राम नाहर, प्रदेश लेखापरीक्षक रामकुमार ढ़ैणवाल, संघर्ष समिति अटेली के प्रधान प्रभु दयाल, कोषाध्यक्ष दयानंद सांवरिया व भारतीय सामाजिक परिवर्तन संघ के सुमेर सिंह गोठवाल ने मंगलवार को गांव महासर में पहुंचकर मौका निरीक्षण किया और पीड़िता शीलावंती पत्नी महेंद्र की गुहार सुनी। मौके पर पीड़ित की दर्द भरी दास्तां सुनकर और वहां का नजारा देखकर सभी अचंभित रह गये कि इस चिलचिलाती धूप व 46 डिग्री से अधिक तापमान में नीले खुले आसमान के नीचे पीड़ित परिवार की महिलाएं व बच्चे रहने को मजबूर है। खाने पीने के लिए सभी गांव के रहमो-करम पर निर्भर हैं।इस मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए विभिन्न संगठनों द्वारा संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र राष्ट्रपति, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, मुख्यमंत्री, पंचायत विभाग के अतिरिक्त सचिव व उपायुक्त को भेजकर मांग की है कि इस दर्दनाक घटना की उच्च स्तरीय जांच की जाए।
पीड़ित परिवार को प्लाट मुहैया करवा कर सरकार की आवासीय योजना से मकान पक्का बनवाया जाए और इसके साथ ही आग से जलकर राख हुए कपड़ा, बिस्तर व अन्य समस्त सामान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा उचित मुआवजा भी दिया जाए। संघर्ष समिति के महासचिव एवं कबीर सामाजिक उत्थान संस्था दिल्ली के प्रमुख सलाहकार बिरदी चंद गोठवाल ने बताया कि पीड़ित परिवार गांव महासर के मूल निवासी है और इनके पास अन्य रिहायश के लिए कोई प्लाट नहीं है। इसी प्लाट के आधार पर पीड़ित के पास बिजली कनेक्शन, आधार कार्ड, वोटर कार्ड व अन्य सभी दस्तावेज हैं। पीड़िता शीलवंती के कथनानुसार उन्हें यह प्लाट 40 साल पहले पंचायत व गांव के मौजिज लोगों द्वारा रिहायश के लिए दिया गया था जिसमें दो कच्चे मकान बनाकर हम अपना जीवनयापन कर रहे थे।
मार्च, 2024 को छोड़कर गत 40 साल में हमें पंचायत या प्रशासन द्वारा कोई नोटिस नहीं दिया गया और अब पंचायत चुनावों में वोट ना देने की रंजिश को लेकर मौजूदा सरपंच ने हमें बेदखल करवा कर प्रशासन द्वारा हमारे कच्चे मकानों को तोड़ दिया व मकान को आग के हवाले कर दिया। हमारी पंद्रह हजार ईंटें भी प्रशासन उठाकर ले गया। मकान में रखी नकदी, जेवरात, कपड़े, बिस्तर और बच्चों के पाठ्यक्रम व मूल प्रमाणपत्र आदि सभी जलकर राख हो गए । पाठ्यक्रम के अभाव इस परिवार के बच्चों का भविष्य भी अंधकारमय हो गया है। प्रशासन द्वारा उल्टा हमारे ऊपर ही केस बनाकर पीड़िता शीलवंती के पति महेंद्र, देवर मुकेश व 17 वर्षीय नाबालिग पुत्र को जेल भिजवा दिया। घर परिवार बर्बाद होने की अवस्था में वित्तीय संशोधनों के अभाव में हम इनकी जमानत भी करवाने में विवश हैं। परिवार का समस्त बोझ शीलवंती के पति महेंद्र की मजदूरी पर ही निर्भर है। इस दर्द भरे संगीन मामले की राष्ट्रीय कुम्हार महासभा के संगठन सचिव व पूर्व प्रधान किशनलाल लुहानीवाल, गुरु रविदास सभा के प्रधान बलबीरसिंह बबेरवाल, हरियाणा प्रदेश चमार महासभा के महासचिव गुरदयाल सिंह नाहर, कोली समाज के प्रधान तोताराम, वाल्मीकि सभा के राजेश चांवरिया, धानक समाज प्रमुख समाजसेवी व पूर्व डीजीएम महेंद्र खन्ना, बार एसोसिएशन के एडवोकेट भीम सिंह दहिया, भारतीय सामाजिक परिवर्तन संघ के सुमेर सिंह गोठवाल व संघर्ष समिति के हजारीलाल खटावला द्वारा रोष प्रकट करते हुए घोर भर्त्सना की और पंचायत व प्रशासन की अव्यवहारिक कार्यशैली को तानाशाही करार दिया । इसके साथ ही एक बीपीएल पीड़ित परिवार को बर्बाद करके सरकार द्वारा दलित विरोधी होने का भी संदेश दिया है । पंचायत और प्रशासन यदि चाहता तो इस बीपीएल परिवार को कलेक्टर रेट पर उचित राशि का निर्धारण कर इस प्लाट को यथास्थिति रख सकता था। पंचायत व प्रशासन की अव्यवहारिक कार्यशैली के कारण आज यह परिवार भिक्षुक बना हुआ है। इस अवसर पर पीड़ित परिवार की सुशीला, आरती, मोनिका, कमला, सरोज, सुमन, सुमन चौहान व अन्य लोग उपस्थित रहे।
बिरदी चंद गोठवाल
सौजन्य :बस्ती टाइम्स 24
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