अमित जेठवा हत्याकांड में पूर्व बीजेपी सांसद समेत 7 बरी:RTI कार्यकर्ता की हाईकोर्ट के बाहर गोली मारकर कर दी गई थी हत्या
गुजरात हाई कोर्ट ने आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या के मामले में पूर्व भाजपा सांसद दीनू सोलंकी और छह अन्य को बरी कर दिया है। जेठवा की 20 जुलाई 2010 को अहमदाबाद में गुजरात हाईकोर्ट परिसर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
पूरी जांच लापरवाही और पूर्वाग्रह से ग्रस्त: हाईकोर्ट
न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया और न्यायमूर्ति विमल के व्यास की खंडपीठ ने सोलंकी और छह अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाने वाले सीबीआई अदालत के आदेश को रद्द कर दिया। एचसी पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हम दोहराते हैं कि अपराध की शुरुआत से ही पूरी जांच लापरवाही और पूर्वाग्रह से ग्रस्त प्रतीत होती है।CBI की
अदालत ने सुनाई थी सजा
दीनू सोलंकी समेत 7 लोगों को हत्या और आपराधिक साजिश के मामले में 2019 में सीबीआई अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के अलावा 15 लाख रुपये का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया था। हालांकि, बाद में हाई कोर्ट ने दीनू सोलंकी और उसके भतीजे शिवा सोलंकी की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित कर दिया था।
जेठवा ने चिंकारा शिकार मामले में एक्टर सलमान खान के खिलाफ भी जबर्दस्त अभियान चलाया था।
क्या था मामला?
जेठवा सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत जानकारी मांगकर कथित तौर पर दीनू सोलंकी से जुड़ी अवैध खनन गतिविधियों को उजागर करने की कोशिश कर रहे थे। जेठवा ने एशियाई शेरों के वास स्थान गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की थी।
अपराध शाखा द्वारा सोलंकी को क्लीनचिट दिए जाने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने इसकी जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंप दी थी। वर्ष 2009 से 2014 तक गुजरात के जूनागढ़ का प्रतिनिधित्व कर चुके सोलंकी को उनके चचेरे भाई शिव सोलंकी और पांच अन्य के साथ भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या और आपराधिक साजिश रचने के आरोपों का दोषी माना था।
बता दें, मृतक के पिता भीखाभाई जेठवा के उच्च न्यायालय का रुख करने के बाद अदालत ने मामले की नए सिरे से जांच का आदेश दिया था। उन्होंने उच्च न्यायालय से कहा था कि आरोपियों द्वारा दबाव डालने और भयादोहन करने के चलते करीब 105 गवाह मुकर गए।
सौजन्य :दैनिक भास्कर
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