दलित समाज के आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि:कैंडल जलाकर किया नमन, बलिदान के योगदान को किया याद
बहुजन समाज द्वारा 2 अप्रैल 2018 को पूरे देश में चलाए गए आंदोलन और उसमें मारे गए आंदोलकारियों को सूरतगढ़ में दलित समाज ने मंगलवार देर शाम को सुभाष चंद्र बोस चौक पर कैंडल मार्च निकालकर श्रद्धांजलि दी। अंबेडकर समाज के संयोजक और पीसीसी सदस्य पार्षद परसराम भाटिया, अंबेडकर नवयुवक संघ के अध्यक्ष राकेश राठी ने कहा कि 20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था कि एससी-एसटी अधिनियम के तहत पब्लिक सर्वेंट की गिरफ्तारी, एपॉयंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती है।
आम लोगों को भी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मंजूरी के बाद ही इस मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है। पहले इस कानून के तहत इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को शिकायत के आधार पर तुरंत गिरफ्तार कर लिये जाने का प्रावधान था। दलित समुदाय इस फैसले से आहत हुआ। उसके मुताबिक ये एक तरह से कानून को लचीला बनाने की कोशिश थी और उसे डर था कि दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ेगी और उन्हें जैसे मर्जी धमकाया जाएगा।
मानवाधिकार संगठनों और कई गैर बीजेपी दलों ने भी इस फैसले की आलोचना की थी और सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए थे। इसी के विरोध में 2 अप्रैल 2018 का पूरे देश में बहुजन दलित समाज ने आंदोलन किया था जिसमें दलित समाज ने न्याय की मांग को लेकर आवाज उठाई थी। इसी आंदोलन में कुछ आंदोलनकारी शहीद हो गए थे। इसीलिए आज के दिन सब से पहले दलित-आदिवासी कार्यकर्ताओं को वे नमन करते हैं जो इस आंदोलन के दौरान शहीद हुए। इन शहीदों को सलामी और श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ इस बात के लिए भी प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता है कि उन्हें न्याय मिले।
इस अवसर ओमप्रकाश गेदर, योगेश मेघवाल, राजेश, साहिल गेदर, सतनाम वर्मा, रामचंद्र, अक्षर नायक, राम अवध यादव, पवन कुमार गेदर, आदराम दगल, भागीरथ भाट, आत्माराम तेहरपुरिया, अंग्रेज सिंह ढिल्लों, एडवोकेट राम प्रताप जालप सहित दलित समाज के लोग मौजूद रहे।
सौजन्य :दैनिक भास्कर
नोट: यह समाचार मूल रूप से bhaskar.com में प्रकाशित हुआ है|और इसका उपयोग पूरी तरह से गैर-लाभकारी/गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से मानव अधिकार के लिए किया गया था।