यहां दलित की दुकान से राशन नहीं खरीद रहे थे ग्रामीण… फिर DM ने लिया चौंकाने वाला फैसला

अहमदाबाद: गुजरात के पाटण जिले में सरस्वती तहसील के कानोसन गांव के ग्रामीण वहां दलित द्वारा संचालित राशन (एफपीएस) की दुकान से राशन नहीं ले रहे थे. इस पर पाटण जिला कलेक्टर ने निर्देश देते हुए सभी 436 राशन कार्ड धारकों को पड़ोसी गांव एडला में ट्रांसफर कर दिया है. उन्होंने कहा कि अब ग्रामीणों को गांव में किसी दलित की दुकान से राशन नहीं खरीदना होगा|
कलेक्टर अरविंद विजयन ने 12 सितंबर के एक आदेश में कानोसन में 436 परिवारों के राशन कार्डों को एडला में एफपीएस में स्थानांतरित कर दिया. दरअसल, कानोसन में ठाकुर समुदाय (गैर-दलित) का वर्चस्व है. कानोसन में, जिनकी आबादी लगभग 2,200 है. 90 प्रतिशत से अधिक निवासी ठाकुर हैं. इस गांव के अधिकांश राशन कार्डधारकों ने लगभग डेढ़ साल पहले कांति परमार (एक दलित) द्वारा संचालित एफपीएस से अपना मासिक राशन खरीदना बंद कर दिया था|
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी एक खबर के अनुसार, कानोसन गुजरात के समरस गांवों में से एक है. राज्य सरकार की समरस योजना के तहत, ग्रामीण अपने वार्ड सदस्यों और सरपंच को सर्वसम्मति से चुनते हैं और इनके चुनाव नहीं किए जाते हैं. ऐसे गांवों को राज्य की ओर से विशेष प्रोत्साहन मिलता है. समरस गांवों में “सामाजिक सद्भाव” का भी प्रतीक माना जाता है|
उधर, ठाकुर ने दलित दुकानदार कांति पर एससी-एसटी एक्ट, जिसे आमतौर पर दलितों के खिलाफ अत्याचार अधिनियम के रूप में जाना जाता है, के तहत झूठे मामलों में मामला दर्ज कराने की धमकी देने का आरोप लगाया है, हालांकि कांति और उनके परिवार ने आरोपों का खंडन किया है. वह अब कलेक्टर के आदेश को अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं|
द इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा कि कलेक्टर के आदेश में कानोसन निवासियों के प्रतिनिधि की शिकायतों का उल्लेख किया है, उन्होंने बताया कि लगभग डेढ़ साल पहले गांव वालों ने कांति के एफपीएस से मासिक राशन खरीदना बंद कर दिया था. सभी लोग पड़ोसी गांव एडला और वागडोड की दुकानों से सामान खरीद रहे थे. ग्रामीणों ने दलित दुकानदार पर आरोप लगाया है कि समय से अनाज नहीं मिल रहा था और कोविड के समय सरकार द्वारा निर्धारित अनाज राशन की सही मात्रा कांति द्वारा वितरित नहीं किया जा रहा था. और जब उनसे शिकायत करते थे तब वह एएससी-एएसटी एक्ट (SC-ST Act) के तहत केस दर्ज करने की धमकी देते थे|
जिला प्रशासन ने कानोसन के 268 निवासियों के बयान दर्ज किए. उनमें से 260 लोगों ने पड़ोसी गांव के एफपीएस से राशन खरीदने की इच्छा व्यक्त की, जबकि आठ निवासियों ने कांति के एफपीएस से अपना राशन प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की|
जिला प्रशासन ने पाया कि सरस्वती तहसील के मामलतदार ने इस मार्च में कानोसन के निवासियों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें लगभग 300 राशन कार्ड धारकों ने कांति के एफपीएस से राशन लेने की अनिच्छा व्यक्त की और मांग की कि उन्हें दूसरे गांव से राशन खरीदने की अनुमति दी जाए. कलेक्टर के अनुसार कांति के एफपीएस में राशन वितरण में धीरे-धीरे कमी दर्ज की गई है. उनके आदेश में कहा गया है कि इस साल मार्च, अप्रैल, मई और जून में क्रमशः 36.84 प्रतिशत, 30.14 प्रतिशत, 9.18 प्रतिशत और 8.18 प्रतिशत राशन वितरित किया गया|
कलेक्टर ने आदेश दिया है कि कानोसन निवासियों के सभी राशन कार्ड लगभग 1.5 किमी दूर एडला गांव में विसाभाई रबारी द्वारा संचालित एफपीएस में स्थानांतरित किए जाएंगे. उन्होंने यह भी आदेश दिया है कि रबारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि निवासियों को उनका राशन कानोसन में ही मिले|
उधर, कांति ने बताया कि ठाकुर बहुल गांव में, उन्होंने करीब दो साल पहले एक ठाकुर को राशन देने से इनकार कर दिया था| राशन न देने की मुख्य वजह उनका कार्ड वैलिड न होना था. इसके बाद से लोगों ने उनके खिलाफ साजिश रचनी शुरू कर दी|
सौजन्य :न्यूज़ 18
नोट : समाचार मूलरूप से hindi.news18.com में प्रकाशित हुआ है ! मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित|