जेएनयू के नए नियम: धरना देने पर छात्रों पर 20,000 रुपये जुर्माना, घेराव पर निष्कासन
‘जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियम’ में कदाचार और अनुशासनहीनता के रूप में वर्गीकृत विभिन्न गतिविधियों के लिए सज़ा का प्रावधान किया गया है|
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने नए नियम बनाए हैं जो कैंपस में होने वाले विरोध को नाकाम करने का प्रयास लग रहे हैं. छात्रों पर धरना देने को लेकर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका प्रवेश रद्द किया जा सकता है या यदि वे घेराव करते हैं तो 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या वे हिंसा के आरोपी ठहराए जा सकते हैं|
‘जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियम’ 10 पेज के हैं, जिनमें ‘कदाचार और अनुशासनहीनता’ के रूप में वर्गीकृत विभिन्न गतिविधियां के लिए दंड का विवरण है|
एनडीटीवी के मुताबिक, नियम 3 फरवरी से लागू किए गए प्रतीत होते हैं. यह समयरेखा उस अवधि से मेल खाती है जब परिसर में विरोधस्वरूप 2002 के गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की कथित संलिप्तता वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई थी. तब प्रशासन ने कथित तौर पर बिजली काटने सहित विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए विभिन्न तरीके आजमाने की कोशिश की थी|
नए नियमों को कथित तौर पर जेएनयू की कार्यकारी परिषद द्वारा मंजूरी दी गई थी. चीफ प्रॉक्टर रजनीश मिश्रा ने कहा, ‘क़ानून में नियमों का उल्लेख था. हालांकि नए नियम प्रॉक्टोरियल जांच के बाद बनाए गए हैं.’
सूचीबद्ध विभिन्न दंडों में ‘प्रवेश रद्द करना या डिग्री वापस लेना या एक निर्दिष्ट अवधि के लिए पंजीकरण से इनकार करना, चार सेमेस्टर तक निष्कासन और/या किसी एक हिस्से या पूरे जेएनयू कैंपस को निषिद्ध घोषित करना, निष्कासन, पुराने नियमों के मुताबिक 30,000 रुपये का जुर्माना, छात्रावास से एक-दो सेमेस्टर के लिए बेदखली’ शामिल हैं|
सौजन्य :thewirehindi
नोट : यह समाचार मूलरूप से :thewirehindi.com में प्रकाशित हुआ है| मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशिकिया है !