तमिलनाडु के राज्यपाल रवि ने दलितों के खिलाफ अत्याचार को लेकर द्रमुक पर निशाना साधा
चेन्नई : तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने सत्तारूढ़ द्रमुक पर निशाना साधते हुए कहा कि सामाजिक न्याय पर काफी बातें होती हैं, लेकिन राज्य में दलितों को हर दूसरे दिन किसी न किसी तरह के अत्याचार का सामना करना पड़ता है। राज्यपाल ने एक महीने के अंतराल के बाद द्रमुक को घेरने की कोशिश की है।
रवि ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अनुसूचित जाति के खिलाफ अत्याचार दलित कॉलेनी की पानी की टंकी में मानव मल फेंकने से लेकर सार्वजनिक अपमान करने, हमले, मंदिरों में प्रवेश न देने और आंगनवाड़ियों में भेदभाव तक हैं।
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि दलितों के लिए घर बनाने के वास्ते केंद्र की ओर से दिये गए धन का 30 प्रतिशत खर्च नहीं हुआ और शेष धन का एक बड़ा हिस्सा अन्य कार्यों में लगा दिया गया।
बाबासाहेब आंबेडकर को एक महान राष्ट्रवादी बताते हुए रवि ने कहा कि जब ब्रिटिश शासन ने ‘एससी/एसटी के लिए अलग निर्वाचक मंडल’ बनाने और समाज को विभाजित करने की कोशिश की, तो आंबेडकर चट्टान की तरह खड़े रहे और इसकी अनुमति नहीं दी।
वहीं, जब मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग शुरू की, तब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सोचा कि वे इस मामले को संभाल सकते हैं, लेकिन आंबेडकर ने इसके खिलाफ चेतावनी दी।
देश के बंटवारे से पहले लिखी गई संविधान निर्माता की किताब ‘पाकिस्तान ऑर द पार्टीशन ऑफ इंडिया’ का हवाला देते हुए राज्यपाल ने कहा, ‘अगर हमने उनकी बात सुनी होती, तो शायद बंटवारा टल सकता था या यह उतना दर्दनाक नहीं होता। लाखों लोग मारे गए और कई लाख लोग विस्थापित हुए और बेघर हो गए। विभाजन, यदि टाला नहीं जा सकता था, तो यह कम कष्टदायक हो सकता था, लेकिन, हमने उनकी बात नहीं मानी।’
इस कार्यक्रम में केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन, अन्ना विश्वविद्यालय के कुलपति आर वेलराज और आईआईटी-मद्रास के निदेशक वी कामकोटि समेत अन्य ने भाग लिया।
सौजन्य : The print
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