गया की गलियों में झाड़ू लगाने वाली बनी शहर की डिप्टी मेयर, चिंता देवी ने रचा इतिहास

बिहार नगर निकाय चुनाव के रिजल्ट में एक नाम चिंता देवी का भी था। चिंता देवी गया नगर निगम क्षेत्र में झाड़ू लगाती थी। अपने सिर पर मैला ढोती थी। पर गया की जनता ने चिंता देवी को शहर का डिप्टी मेयर बना कर इतिहास रच दिया। चिंता देवी कहानी अद्भुत है।
बिहार नगर निकाय चुनाव रिजल्ट में गया नगर निगम ने इतिहास रच दिया। मैला ढोने वाली एक महिला, गया की डिप्टी मेयर चुनी गई। गया के मतदाताओं ने एक मिसाल कायम की है। बिहार नगर निकाय चुनाव रिजल्ट के अनुसार, गया नगर निगम की नई डिप्टी मेयर, 40 वर्षों तक गया नगर निगम क्षेत्र में झाड़ू लगाने वाली महिला चिंता देवी चुनी गई हैं। बताया जा रहा है कि, पूरे गया में स्वच्छता का संदेश देने वाली चिंता देवी अपने सिर पर मैला ढोने का भी कार्य किया है। चिंता देवी न पढ़ना जानती हैं न ही लिता देवी रिकॉर्ड मतों से जीतीं
चिंता देवी प्रतिदिन कचरा उठाने और झाडू़ लगाने का काम करती थीं। अब वे सब्जी बेचने का काम करती थीं। चिंता देवी की किस्मत भी बलवती थी। बिहार नगर निकाय चुनाव में इस बार गया
गया के पूर्व डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव बताते हैं कि, चिंता देवी ने गया में मैला ढोने का काम भी किया था। मैला ढोने वाली महिला ने डिप्टी मेयर के पद का चुनाव जीतकर इतिहास रचा है। शहरवासियों ने दबे कुचले का समर्थन कर उन्हें समाज में आगे बढ़ाने का काम किया है।
सिर पर टोकरी ढोकर सांसद बनी थी भगवती देवी
मोचुनाव में मिले समर्थन से भावविभोर चिंता देवी कहती हैं कि, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यहां तक की यात्रा भी कभी तय करूंगी। वे कहती हैं कि लोग इतना मान देंगे, नहीं सोचा था। अपना काम करते रहें तो जनता भी सम्मान देती है। जिस कार्यालय में झाडू लगाने वाली के रूप में कार्यरत थीं, अब वहीं से बैठकर शहर की स्वच्छता के लिए योजखना। पर पूरे गया को स्वच्छता का ऐसा पाठ पढ़ाया कि, जनता उनके मुरीद हो गए। चिंता देवी ने निकिता रजक को करीब 27 हजार मतों से पराजित किया है।
चिंनाएं बनाएंगी।
हन श्रीवास्तव ने कहानी को आगे बढ़ाते हुए बताते हैं कि, जिस तरह भगवती देवी सिर पर टोकरी ढोकर सांसद बनी थी। अब, मैला ढोने वाली महिला चिंता देवी डिप्टी मेयर के रूप में जानी जाएंगी।
खुशी से झूमी चिंता देवी
चुनाव में मिले समर्थन से भावविभोर चिंता देवी कहती हैं कि, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यहां तक की यात्रा भी कभी तय करूंगी। वे कहती हैं कि लोग इतना मान देंगे, नहीं सोचा था। अपना काम करते रहें तो जनता भी सम्मान देती है। जिस कार्यालय में झाडू लगाने वाली के रूप में कार्यरत थीं, अब वहीं से बैठकर शहर की स्वच्छता के लिए योजनाएं बनाएंगी।
सौजन्य : पत्रिका
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