मंत्री की मौजूदगी में आदिवासी जिला पंचायत अध्यक्ष को मंच में नहीं मिली कुर्सी
सतना। प्रदेश सरकार ने सतना जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष का पद आदिवासी आरक्षित किया है। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि आदिवासी समाज के लोग न केवल प्रतिनिधित्व में अपनी सहभागिता बेहतर तरीके से निभा सकें बल्कि उनके नेतृत्व को भी मूल धारा में लाया जा सके। लेकिन सतना के पंचायत राज के सबसे बड़े जनप्रतिनिधि जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल को वह आरक्षित वर्ग से होने की वजह से वह सम्मान और स्थान नहीं मिल पा रहा है। मझगवां जनपद पंचायत में जनपद सदस्यों का प्रथम सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस शासकीय कार्यक्रम के मंच में जिपं अध्यक्ष रामखेलावन कोल को मंच में एक अदद कुर्सी तक नहीं मिल सकी और उन्हें पदच्युत सदस्यों के बीच दबे कुचले तरीके से बैठना पड़ा। यह सब तब हुआ जब यहां खुद प्रदेश के पंचायत मंत्री रामखेलावन पटेल मौजूद थे।
मझगवां जनपद में प्रथम सम्मिलन और जनपद सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री रामखेलावन पटेल आमंत्रित थे। वही ं बतौर अध्यक्ष जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल को आमंत्रित किया था। पूरी तरह से शासकीय आयोजित कार्यक्रम में जब ये अतिथि पहुंचे तो मुख्य अतिथि मंत्री को बकायदे मंच के बीच में पृथक के कुर्सी दी गई। लेकिन आदिवासी जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए एक अदद कुर्सी की व्यवस्था नहीं की गई थी। जबकि प्रदेश सरकार के तय प्रोटोकॉल के तहत शासकीय कार्यक्रम में मुख्यअतिथि मंत्री के बगल में जिला पंचायत अध्यक्ष को बैठाना चाहिए। क्योंकि उन्हें राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त है। लेकिन यहां आदिवासी जिपं अध्यक्ष बमुश्किल पदच्युत हो चुके जिला पंचायत सदस्यों के बीच दबे कुचले बैठे रहे और किसी ने उन्हें उचित स्थान देने गंभीरता नहीं दिखाई।
इस तरह किया अपमान
जिस स्थान पर आदिवासी जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल को बैठना था वहां पर पूर्व विधायक और इसके बाद दो बार हार चुके सुरेन्द्र सिंह गहरवार फैल कर बैठे थे। इनके बाद पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं सांसद के भाई उमेश प्रताप सिंह लाला चौड़े होकर बैठे थे। इनके बाद छोटी से जगह में दुबके हुए जिला पंचायत अध्यक्ष बैठे नजर आए। स्पष्ट था कि शासकीय मंच पर जिला पंचायत अध्यक्ष को उनके आदिवासी और कमजोर तबके के होने की वजह से उचित स्थान नहीं मिला। हद तो यह रही कि यह सब कुछ राज्यमंत्री की मौजूदगी में होता रहा और उन्होंने इस संबंध में न तो अध्यक्ष को उचित स्थान दिलवाया न ही व्यवस्थापकों से इस पर कोई आपत्ति जताई। इस दौरान भाजपा के जिला अध्यक्ष भी मौजूद रहे लेकिन उन्होंने भी इस पर गंभीरता नहीं दिखाई।
पूर्व में भी हो चुका है ऐसा
आदिवासी समाज से आने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष कोल के साथ यह पहली घटना नहीं है। अध्यक्ष निर्वाचन के बाद जब विजय जुलूस निकाला गया था तब भी उन्हें हाशिये पर रखा गया था। जबकि यह उनकी विजय का ही जुलूस था। इसमें सांसद, मंत्री और उपाध्यक्ष सबसे आगे खड़े थे और कोल को पीछे खड़ा कर दिया गया था। जिससे वे लोगों को स्पष्ट नजर भी नहीं आ रहे थे।
भाजपा ने दलित वर्ग का अपमान कियाः कांग्रेस
इस मामले में कांग्रेस आक्रामक हो गई है। कांग्रेस ने इस दलित वर्ग का अपमान बताया है। पार्टी के जिला प्रवक्ता अतुल सिंह ने जारी बयान में कहा है कि जनपद पंचायत मझगंवा के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल को उनके प्रोटोकॉल के अनुसार स्थान न देकर जिस प्रकार से अपमानित किया गया उससे दलित समाज के प्रति भाजपाई सोच का असली चेहरा बेनकाब हुआ है। रामखेलावन कोल को सार्वजनिक मंच में अपमानित करके भाजपा ने जिले के दलित वर्ग को अपमानित किया है। भाजपा के इस कृत्य की जितनी भी निंदा की जाय वह कम है। भाजपा के जिला संगठन को जिले के दलित समाज से सार्वजनिक रूप से मांगनी चाहिए।
आमंत्रण पत्र में भी नहीं मिला उचित स्थान
इस कार्यक्रम के लिए जो आमंत्रण पत्र तैयार किया गया था उसका भी भाजपाईकरण कर दिया गया। इतना ही नहीं इसमें भी जिला पंचायत अध्यक्ष को प्रोटोकॉल के तहत स्थान नहीं दिया गया। इसमें मुख्य अतिथि मंत्री को बनाया गया और अध्यक्षता पूर्व विधायक से करवा दी गई। वहीं जिपं अध्यक्ष को विशिष्ट अतिथि के रूप में रखा गया। हालांकि इस मामले में कार्यक्रम के आयोजक जनपद सीईओ सुलभ सिंह पुसाम ने सफाई देते हुए बताया कि कोई भी शासकीय आमंत्रण पत्र नहीं तैयार किया गया था। भाजपा ने अपना आमंत्रण पत्र बनाया था। लेकिन इस आयोजन का शासकीय आमंत्रण पत्र क्यों नहीं तैयार किया इस पर वे चुप्पी साध गए।
सौजन्य : Patrika
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