करमाटांड़ के मजदूर रोजगार को करने लगे पलायन
करमाटांड़ (जामताड़ा): कोरोना संक्रमण कम होने के साथ ही मजदूर रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में जाने लगे हैं। अपने घर-गांव में स्थाई रोजगार नहीं मिलने के कारण उनका दूसरे राज्यों में जाना मजबूरी है। तंत्र आदिवासी समाज के लोगों व मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने में पूरी तरह से विफल है। बुधवार को ऐसे ही मजदूरों का जत्था रोजगार के लिए विद्यासागर रेलवे स्टेशन से चेन्नई के लिए रवाना हुआ। विद्यासागर रेलवे स्टेशन के समीप गांव के ही पास के रहने वाले एक व्यक्ति की अगुवाई में करीब 54 युवक जसीडीह से ट्रेन पकड़ने के लिए रवाना हुए। इन लोगों ने अपना घर करमाटांड़ व जामताड़ा बताया।
मजदूरों ने कहा कि रोजी-रोटी का सवाल है। आखिर घर में रह कर क्या करेंगे। कोरोना महामारी खत्म होने को है। कहीं भी रहेंगे हिफाजत के साथ रहेंगे, कुछ नहीं होगा। यहां रोजगार कहां मिलता है। चेन्नई जाने वालों में करमाटांड़ के दीप लाल टुडू, परमेश्वर सोरेन, बूजा पहाड़िया, सदैसर सोरेन, सूरज बास्की समेत दर्जनों युवक शामिल थे। कई मजदूर जिसने अपना नाम तथा गांव का नाम बताने से इन्कार किया। युवकों ने कहा कि वे लोग पहली बार काम करने जा रहे हैं। कुछ लोग पहले भी काम करके वापस लौट चुके हैं। वहां पर मजदूरी 350 से लेकर 400 रुपये तक मिलती है जबकि करमाटांड़ में 250 से लेकर 300 रुपये। बाहर राज्यों में काम करने के साथ-साथ खाना व रहने की व्यवस्था कंपनी से मिलती है।
—क्या कहते हैं मजदूर : करमाटांड़ के बहादुरपुर निवासी दीप लाल टूडू ने बताया कि परिवार के सदस्य के साथ काम करने जा रहे हैं। रोजगार के लिए प्रखंड में काम नहीं मिल पाता। जितनी मजदूरी होनी चाहिए उतना मजदूरी भी नहीं मिल पाती है। इसलिए पेट के लिए परिवार छोड़कर गांव से दूर जाना पड़ता है।
—हथियापाथर निवासी बुजा पहाड़िया ने कहा कि करमाटांड़ प्रखंड में काम करने के एवज में मजदूरी 250 रुपये मिलती है। इससे क्या होगा। परिवार चलाना मुश्किल है। अधिक पैसे के लिए अन्य राज्यों की ओर जाना पड़ता है।
—आमडंगाल निवासी सदेसर सोरेन ने कहा कि मनरेगा में मजदूरी दर काफी कम है। बराबर काम नहीं मिलता। इससे भरण-पोषण करना मुश्किल है। इसी कारण पूरे परिवार के लिए काम करने बाहर जाना पड़ रहा है। सरकार को ध्यान देना चाहिए।
—हथधरा निवासी सूरज बास्की ने कहा कि वह दसवीं कक्षा पास है परंतु मजदूरी करना उसकी मजबूरी है। गांव में समय पर काम भी नहीं मिल पाता। परिवार की स्थिति दयनीय है। इसलिए काम के लिए बाहर जाना विवशता है। रोजगार मिलता तो गांव क्यों छोड़ते।
—वर्जन : प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी विद्युत मुर्मू ने बताया कि करमाटांड़ प्रखंड के अंतर्गत 18 पंचायतों में 15000 सक्रिय मजदूर हैं। प्रतिदिन 2500 से अधिक मजदूर मनरेगा में कार्य करते हैं। सरकारी मजदूरी दर 225 रुपये भुगतान होता है। जबकि अन्य कार्यो में मजदूरी लगभग 300 रुपये मिलती है। किसी मजदूर ने मजदूरी के लिए काम मांगा है पर काम नहीं मिला है तो वह बताए। कागजात की जांच कर दोषी पर कार्रवाई की जाएगी। प्रावधान के अनुरूप सभी मजदूरों को काम दिया जा रहा है।
साभार : दैनिक जागरण
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