Wardha News आंबेडकरवादी व दलित कुलसचिव को बदनाम करने की साजिश रच रहा छद्म समूह
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कुछ शिक्षक व छात्र संगठन डॉ .आंबेडकर के नाम पर मीडिया के माध्यम से धूमिल कर रहे हैं विश्वविद्यालय की छवि वर्धा . महा त्मा गां धी अंतररा ष्ट्री य हिं दीहिं दी वि श्ववि द्या लय, वर्धा में आंबेडकरवा दी और दलित कुलसचिव को बदनाम करने की साजिश लगातार रची जा रही है। पिछलेकई दिनों से सोशल मीडिया व कुछ अखबारों के माध्यम से आरोप लगाया जा रहा है कि विश्वविद्यालय के कुलसचि व डॉ . धरवेश कठेरि या ने कैंपस में भी मराव आंबेडकर के लिखित दस्तवेजों और महारा ष्ट्र सरका र द्वारा प्रका शित किताबों के वाचन पर रोक लगा दी है।
जबकि कुलसचि व द्वारा जारी पत्र में कहीं भीवाचन बंद करने का जि क्र नहीं है, बल्कि कुलसचि व ने आंबेडकर स्टडी सर्कि ल को जा री पत्र में लिखा है कि उक्त के संबंध में आपको सूचि त किया जाता है कि ‘अम्बेडकर बुकरीडिं गडिं ’ का आयोजन विभाग/केंद्र के लि ए आवंटित कक्षा ओं में करना ज्यादा उचि त होगा ।
आंबेडकर स्टैचू के सा मने जमी न पर बैठकर ‘आंबेडकर बुक री डिं गडिं ’ का आयो जन सुरक्षा , विश्वविद्यालय की प्रति ष्ठा एवं विद्यार्थियोंर्थियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उचित प्रतीत नहीं हो ता । अब यह बा त समझना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में वि देशी बच्चे भी पढ़तेहैं और वो अंतररा ष्ट्री य वि श्ववि द्या लय की छवि को कि स रूप में देखेगे? कुलसचिव तो कार्यक्रम को करने के लिए भवनों में उपलब्ध कक्ष या क्ला सरूम की बा त कर रहे हैं।
ऐसे में आरोप लगा ने वा लेशि क्षक व छा त्र संगठन सि र्फ कुलसचि व डॉ . धरवेश कठेरि या को बदना म करने की कोशिश कर रहे हैं चूंकि डॉ .धरवेश कठेरिया दलित समुदाय से आते हैं और जाने मा ने आंबेडकरवा दी हैं। इसलिए वो बर्दा श्त नहीं हो रहे हैं या ये भी कह सकतेहैं कि वो कि सी दलि त को प्रशा सनि क पद पर देखना नहीं चाहते हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय की छवि धूमिल करने वालों के खिलाफ का र्यवा ही होनी चाहिए।
सौजन्य : नवभारत
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