सरकार एससी-एसटी सब प्लान को कमजोर कर रही है:दलित अधिकार समन्वय समिति ने रखी 8 मांगें, विधानसभा सत्र के दौरान प्रदर्शन की चेतावनी
दलित अधिकारी समन्वय समिति ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बजट में दलितों की हिस्सेदारी को कम कर दिया गया है। एससी-एसटी सब प्लान को अप्रभावी बनाया गया है। बजट पूर्व इस पर कोई चर्चा नहीं होती है। बिहार की एनडीए सरकार ने तो इसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। इस मामले में राज्य में कानून बनाने से सरकार भाग रही है। सरकार को एससी-एसटी सब प्लान की स्थिति पर श्वेत पत्र लाना चाहिए। तत्काल एक सक्षम कानून बनाना चाहिए। विधान सभासत्र के समय इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया जाएगा
सत्यदेव राम, प्रो रमाशंकर आर्य, जानकी पासवान, भोला प्रसाद,हरिकेश्वर राम,विश्वनाथ चौधरी,कपिलेश्वर राम,महंथ मांझी,अमर आजाद,राधेश्याम राम ने संयुक्त रूप से ये बातें रविवार को प्रेस वार्ता में कही है।
देश के ग्रामीण इलाकों में मजदूर संगठनों ने दलित संगठनों के साथ मिलकर दलित अधिकारों के लिए समन्वय समिति का गठन किया है। हैदराबाद दलित अधिकार सम्मेलन से गठित इस साझे मंच ने दलितों के प्रति भाजपा की केंद्र सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति का पुरजोर विरोध किया है।
बैकलॉग रिक्तियों को भरने से मना कर रही सरकार
वक्ताओं ने कहा कि बिहार सरकार दलित अधिकारों को छीनने का काम कर रही है। बैकलॉग रिक्तियों को भरने से मना कर रही है। सरकार ने प्रोन्नति में आरक्षण को मजाक बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमे के आलोक में बिहार सरकार ने 83 प्रतिशत अधिकारियों-कर्मचारियों को सशर्त प्रोन्नति दी है, लेकिन दलित-आदिवासियों को इस प्रक्रिया से बाहर रखकर अन्याय किया है।
साझे मंच ने आरोप लगाया है कि सेवा में सरकार भेदभाव करती है और दलित अधिकारी-कर्मचारियों का दमन करती है। देश में भाजपा सरकार आने के बाद सामाजिक राजनीतिक और सांस्कृतिक माहौल दलित विरोधी बना है। उनके सवालों को अनदेखा किया जा रहा है। सरकार फूट डालो-राज करो कि नीति अपना रही है।
दलित अधिकार अभियान की मांग सामने रखते सत्यदेव राम, प्रो रमाशंकर आर्य, जानकी पासवान, भोला प्रसाद,हरिकेश्वर राम,विश्वनाथ चौधरी,कपिलेश्वर राम,महंथ मांझी,अमर आजाद और राधेश्याम राम।
दलित अधिकार अभियान की मांग सामने रखते सत्यदेव राम, प्रो रमाशंकर आर्य, जानकी पासवान, भोला प्रसाद,हरिकेश्वर राम,विश्वनाथ चौधरी,कपिलेश्वर राम,महंथ मांझी,अमर आजाद और राधेश्याम राम।
दलित अधिकार अभियान की प्रमुख मांग
1. अनुसूचित जातियों को सामाजिक विकास में लाने के लिए बजट आवंटन को संशोधित कर आगे बढ़ाना चाहिए।
2. सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बंद करें और बैकलॉग पद भरें। दलितों के लिए निजी क्षेत्रों में आरक्षण विधेयक इसी संसद सत्र में पेश किया जाए ।
3. अनुसूचित जातियों के विकास के लिए धन का उचित आवंटन और उपयोग सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उपयोजना अधिनियम का पालन किया जाए। राज्यों में एससी-एसटी सब प्लान को लेकर कानून बने।
4. अनुसूचित जातियों की भागीदारी और सशक्तिकरण में सुधार के लिए शैक्षिक, रोजगार और औद्योगिक क्षेत्रों में पर्याप्त संसाधनों का प्रावधान।
5. पदोन्नति में आरक्षण के संवैधानिक संरक्षण का पालन करें।
6. दलितों के खिलाफ अत्याचार को रोकने के लिए एससी-एसटी पीओए अधिनियम को उचित ढंग से लागू करें।
7. आंध्र, तेलंगाना समेत दक्षिण के राज्यों के तर्ज पर सभी प्रखंडों में दलित आवासीय स्कूल बनाओ।
8. सभी स्तरों पर मासिक छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाए।
सौजन्य:दैनिक भास्कर
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