नाराज हैं दलित-आदिवासी : 21 अगस्त को देशव्यापी आंदोलन, करेंगे आरक्षण पर कोर्ट के फैसले का विरोध !
कोर्ट का फैसला आते ही अब दलित संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं। SC-ST के सामाजिक ग्रुपों में एक बार फिर बड़े आंदोलन की सुगबुगाहट है। चर्चा है कि एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव के विरोध में 2 अप्रेल 2018 की तरह बड़ा आंदोलन किया जा सकता है|
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप- वर्गी करण को उचित ठहराते हुए ईवी चिन्नय्या बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में 2में004 के फैसले को खा रि ज कर दि या है। सरल शब्दों में SC-ST के भी तर भी क्री मी लेयर कैटेगरी बना ई जा सकेगी । इधर को र्ट का फैसला आते ही अब दलि त संगठनों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। SC-ST के सामाजि क ग्रुपों में एक बार फिर बड़े आंदोलन की सुगबुगा हट है। चर्चा है कि जिस तरह से एट्रोसिटी एक्ट में बदला व के विरो ध में 2 अप्रेल 2018 को देशव्या पी आंदोलन किया गया था , वैसा ही आंदो लन 21 अगस्त 2024 को कि या जा सकता है। आखि र क्यों नाराज हैं दलित और आदिवासी , समझते हैं|
पहले समझते हैंक्या है को र्ट का फैसला
गुरुवार यानी 1 अगस्त 2024 को मुख्य न्यायाधीश डी . वा ई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की खंडपी ठ ने 6-1 के बहुमत से एक फैसला दिया । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य अब चुनिंदा जातियों को आरक्षण दे सकेंगे। यानी अब राज्यों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में शामिल जातियों को अलग अलग वर्गों में बांटने का अधिका र हो गा । दूसरे शब्दों में OBC की तरह SC-ST वर्ग को भी आर्थि क आधा र पर बां टा जा सकेगा । को र्ट के फैसले के बाद अब राज्य सरका रें अनुसूचित जातिया अनुसूचि त जनजा ति के अंदर आने वाले किसी एक वर्ग को ज्यादा आरक्षण का लाभ दे सकेंगी ।
कोर्ट के तर्क को एक उदा हरण से समझते हैं। यह सामान्य स्वीकारोक्ति है कि मध्य प्रदेश में SC समुदाय से अहिरवार या जाटव समाज के लोगों को आरक्षण के कारण सरकारी नौकरियों में अच्छा खासा प्रतिनिधित्व मिला है, लेकिन वहीं बंसोर या बलाई जा तियां कहीं पी छे हैं। ऐसे में पीछे छूट गई जा तियों को अलग से प्रावधान किया जा सकेगा ।
अब समझें क्यों हैं नाराज SC-ST समुदाय
इस फैसले को लेकर देश में मिली – जुली प्रति क्रिया सामने आ रही हैं। जहां एक तबका इसे आरक्षण के लाभ को समा ज के नि चले तबके तक पहुंचने के रूप में देख रहा है, वहीं SC-ST के बी च का म करने वा ले बुद्धि वी जी और संगठन इसे समुदा य को वि भा जि त करने वा ला फैसला बता ते हुए संवि धा न की मूल भा वना के खि ला फ बता रहे हैं। जा हि र तौ र पर इस फैसले का देश की रा जनी ति पर बड़ा असर हो ने जा रहा है। SC-ST संगठनों का कहना है कि यह फैसला संवि धा न की मूल भा वना के खि ला फ है। क्यों कि आरक्षण का आधा र आर्थि क नहीं , सा माजिक है। SC-ST समाज के लोग बड़ी नौकरियों पर जाकर भी भेदभाव का शिका र हो ते हैं। ऐसे में यह तय नहीं कि या जा सकता कि किसी को सरकारी नौकरी मि लने से उसके साथ भेदभा व भी खत्म हो जा एगा ।
SC-ST मामलों के जानकार डॉ एसके सदावर्ते कहते हैं कि आरक्षण गरीबी हटाओ योजना नहीं है। समाज के समतली करण का एक प्रया स मा त्र है। को र्ट का फैसला SC-ST के हक- अधिकारों पर कुठाराघा त की तरह साबित होगा ।
कोर्ट का फैसला विभाजनकारी
कांस्टी ट्यूशनल फो रम के डॉ पी डी महंत और डॉ मेजर मनोज राजे कहते हैं कि कोर्ट का फैसला वि भाजनका री है। इससे SC-ST समुदा यों के अंदर अलग- अलग वर्ग खड़े हो जाएंगे। जिस जातिवा द से छुटकारा पाने के लि ए अभी देश जूझ रहा है, इस फैसले के बा द समुदायों के अंदर नए तरह का जातिवा द फैल जाएगा । बाबा साहब आंबेडकर ने अपने गुरु ज्योतिबा फुले द्वारा इस्तेमाल कि ए गए अति शूद्र शब्द को नकार दिया था । फुले ने जिस अछूत समाज को अतिशूद्र कहा , उसे आंबेडकर ने दलित पहचान के साथ स्थापित किया । यही कारण है कि सोशल मीडिया पर दलितों और आदिवासियों के भी तर इस फैसले के खिलाफ रोष दिखाई पड़ रहा है।
जबलपुर हा ईको र्ट के एडवो केट और ओबी सी एडवो केट वेलफेयर एसो सिएशन के अध्यक्ष रामेश्वर सिंह ठाकुर इस फैसले को समाज के अंदर टूट डालने वाला बताते हैं। वे कहते हैं कि SC-ST के आरक्षण को OBC की तरह नहीं देखा जा सकता ।
राजनीतिक दलों के हाल : कांग्रेस- बी जेपी चुप, लेकिन ये दल मुखर
कांग्रेस, बीजेपी के साथ सपा और बसपा जैसे बहुजन समाज की राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों ने फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर खुलकर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि अब मा या वती , चिराग पासवान, रामदास आठवले अपना विरोध जता चुके हैं। दरअसल मामला संवेदनशील हो ने का का रण कांग्रेस और BJP फिलहाल इसके असर का अध्ययन कर रही हैं।
तो क्या होगी 21 अगस्त को !
बड़ा सवाल ये है कि क्या दलित- आदि वा सि यों के बी च सुलग रही ना राजगी किसी अंजाम तक पहुंचेगी ? सूत्रबता ते हैं कि इन समाजों के वाट्सएप ग्रुपों में 21 अगस्त को देश- व्यापी आंदोलन करने के मैसेज फार्वर्ड होने लगे हैं। जिस तरह एट्रोसिटी एक्ट में बदला व के विरोध में 2 अप्रेल 2018 को स्वस्फूर्त आंदोलन हुआ था , उसी तरह का आंदोलन करने की रणनीतियां बनाई जाने लगी हैं। इसका अगुआ कौन है, यह कोई भी बताने को तैयार नहीं । दलित एट्रोसिटी एक्ट आदिवासी आरक्षण SC-ST ST-SC और ओबीसी
सौजन्य: द सूत्र
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