दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक और बंगाल की झांकियां रिजेक्ट:सभी गैर-बीजेपी शासित; कौन और कैसे चुनता है 26 जनवरी की झांकियां
26 जनवरी 2024 को तीनों सेनाओं की परेड के साथ निकलने वाली मनमोहक झांकियां विवादों में आ गई हैं। इसकी वजह 4 राज्यों पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब और कर्नाटक की झांकियां को रिजेक्ट किया जाना है। इन 4 में से दो राज्यों में AAP, एक में TMC और एक में कांग्रेस की सरकार है।
केंद्र के इस फैसले का कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कन्नड़ लोगों का अपमान बताया है। वहीं, पंजाब के सीएम भगवंत मान ने इस फैसले को पंजाब विरोधी बताया है। यही वजह है कि झांकियों के चुने जाने को लेकर एक बार फिर से विवाद शुरू हो गया है। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकियों का चयन कौन करता है और झांकियों के सेलेक्शन को लेकर क्या विवाद है?
4 राज्यों के झांकियों को रिजेक्ट किए जाने की वजह…
कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पंजाब के झांकियों को रिजेक्ट करने के पीछे रक्षा मंत्रालय की ओर से दो लाइन का जवाब आया है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इन राज्यों की झांकी गणतंत्र दिवस परेड 2024 की थीम पर आधारित नहीं है। इसलिए इन्हें खारिज किया गया है। पंजाब और दिल्ली की झांकी को पहले दो राउंड में ही रिजेक्ट कर दिया गया। जबकि कर्नाटक की झांकी सेलेक्शन के दौरान एक्सपर्ट्स की तीसरे राउंड की बैठक में बाहर हो गई।
एक्सपर्ट कमेटी झांकियों का सेलेक्शन करती है
एक एक्सपर्ट कमेटी होती है जो झांकियों का सेलेक्शन करती है। एक्सपर्ट कमेटी रक्षा मंत्रालय के गाइडेंस में काम करती है। कमेटी में आर्ट, कल्चर, पेंटिंग, स्कल्पचर, म्यूजिक, आर्किटेक्चर, कोरियोग्राफी क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोग शामिल होते हैं।
एक्सपर्ट कमेटी कई सारी बैठकें कर विभिन्न राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से प्राप्त झांकियों के प्रस्तावों का मूल्यांकन करती है। ये कमेटी इन झांकियों का उनके विषय, डिजाइन और उसके विजुअल इंपैक्ट के आधार पर जांच करती है। इसके बाद अपनी सिफारिश डिफेंस मिनिस्ट्री को भेजती है।
इन चरणों से होकर गुजरती है सेलेक्शन की प्रक्रिया
रिपब्लिक डे के लिए झांकियों के सेलेक्शन की प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है। इसकी शुरुआत झांकियों के स्केच, डिजाइन और प्रदर्शनों की थीम की सराहना के साथ होती है।
इसके बाद झांकी के मॉडल पर एक्सपर्ट कमेटी और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों/ मंत्रालयों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह खत्म होता है। सेलेक्शन के पहले फेज में सभी प्रस्तावों के स्केच/डिजाइन की जांच होती है। साथ ही जरूरी होने पर इसमें संशोधन के लिए सुझाव दिए जाते हैं। एक बार जब कमेटी स्केच और डिजाइन को एप्रूव्ड कर देती है तो प्रतिभागियों को अपने प्रस्तावों के 3-डी मॉडल्स के साथ आने को कहा जाता है। हालांकि, मॉडल स्टेज में आने का मतलब सेलेक्शन नहीं होता है।
इसके बाद फाइनल चयन के लिए एक्सपर्ट कमेटी विभिन्न आधार पर झांकियों के 3-डी मॉडल की जांच करती है। सेलेक्शन प्रक्रिया आम तौर पर 6 से 7 राउंड की बैठक के बाद पूरी होती है। इस दौरान हर स्टेज में कुछ प्रस्तावों को खारिज किया जाता है जबकि कुछ को शॉर्टलिस्ट किया जाता है।
सेलेक्शन के दौरान कौन सा फैक्टर काम करता है
सेलेक्शन कई फैक्टरों के ऊपर डिपेंड करता है। जैसे- इसमें विजुअल अपील, लोगों पर कितना प्रभाव डालेगी, आइडिया, थीम, म्यूजिक और कई फैक्टर काम करते हैं। लिमिटेड टाइम और स्पेस की कमी के कारण परेड में भाग लेने के लिए लिमिटेड संख्या में ही झांकियों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है। डिफेंस मिनिस्ट्री का जोर होता है कि सेलेक्शन प्रक्रिया के बाद सबसे अच्छी झांकी ही परेड में शामिल हो।
इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में झांकियों के लिए सिर्फ दो थीम विकसित भारत और भारत लोकतंत्र की मातृका रखा गया है। पिछले साल झांकियों के लिए 5 थीम रखे गए थे।
क्या इसके लिए कुछ खास नियम हैं?
रिपब्लिक डे परेड के दौरान झांकी के प्रदर्शन के लिए डिफेंस मिनिस्ट्री की ओर से एक गाइडलाइन बनाई गई है। इसमें राज्य को झांकी के लिए मिलने वाली सुविधाएं भी शामिल हैं।
डिफेंस मिनिस्ट्री ने इस बार सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक पत्र जारी कर रिपब्लिक डे परेड 2024 में झांकियों के लिए प्रस्ताव मांगे थे। 18 दिसंबर 2023 से झांकियों के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की तारीख शुरू हुई। जबकि प्रस्ताव भेजने की आखिरी तारीख 26 दिसंबर 2023 थी। इस बार कुल 331 झांकियों के प्रस्ताव आए थे।
पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और पंजाब ने राज्य की झांकी नहीं शामिल करने की निंदा की
डिफेंस मिनिस्ट्री ने 9 जनवरी को रिपब्लिक डे परेड के लिए कर्नाटक की झांकी को शामिल करने से इनकार किया था। इससे पहले पंंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल की झांकी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।
अब जानिए इन 4 राज्यों ने झांकी के लिए क्या प्रस्ताव भेजे थे और रिजेक्ट किए जाने पर क्या कहा है…
कर्नाटक: दो प्रस्ताव भेजे गए थे। इनमें से एक में मैसूर के शासक नलवाडी कृष्णराज वोडेयार और कित्तूर रानी चेन्नम्मा के जीवन को प्रदर्शित करना था। वही, दूसरी झांकी में बेंगलुरु के संस्थापक नादप्रभु केम्पेगौड़ा के जीवन को दिखाया जाना था। इन दोनों झांकी के प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया गया।
सीएम सिद्धारमैया ने कहा है कि ये 7 करोड़ कन्नड़ लोगों को अपमान है। केंद्र ने जानबूझकर उनके झांकी को रोका है।
पंजाब: पंजाबियों के बलिदान और संस्कृति को दिखाने वाला था। एक झांकी में बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के साथ-साथ माता गुजरी को श्रद्धांजलि देते हुए दिखाया गया था। इसके अलावा अन्य दो प्रस्ताव भी भेजे गए थे, लेकिन इन तीनों प्रस्तावों को रिजेक्ट कर दिया गया। सीएम भगवंत मान ने कहा कि जिन राज्यों की झांकी को चुना गया है, उनमें से 90% से ज्यादा राज्यों में बीजेपी की शासन है। केंद्र सरकार का ये फैसला उनके पंजाब विरोधी मानसिकता को दिखाता है।
दिल्ली: दिल्ली की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में दिल्ली राज्य का शासन मॉडल प्रदर्शित करना था। इसमें अच्छी शिक्षा, बेहतर प्रति व्यक्ति आय, 200 यूनिट फ्री बिजली जैसी चीजों को दिखाया जाना था। आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि केंद्र ने दिल्ली के इस प्रस्ताव को खारिज कर एक अच्छे शासन मॉडल को दिखाने से रोक दिया है। वहीं, राजनीतिक बयानबाजी शुरू होने के बाद दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि दिल्ली और पंजाब की झांकी को इसलिए खारिज किया गया क्योंकि इस पर वे केजरीवाल और भगवंत मान की तस्वीर चाहते थे।
बंगाल: सीएम ममता बनर्जी की प्रिय परियोजना कन्याश्री को उजागर करने वाली बंगाल की प्रस्तावित गणतंत्र दिवस की झांकी को आठ साल में तीसरी बार खारिज कर दिया है। इससे तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर हो गई है। इससे पहले केंद्र ने पंजाब और दिल्ली की झांकी भी खारिज कर दी थी। तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र के इस फैसले को राजनीतिक भेदभाव वाला बताया है। ममता सरकार में मंत्री शशि पांजा ने कहा कि जिस कन्याश्री योजना को संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियों सराहना मिली है, उसे परेड में मान्यता नहीं मिलना आश्चर्यचकित करता है।
‘रोलओवर योजना’ के जरिए झांकी से जुड़े विवादों को सुलझाएगी सरकार
हर साल झांकी को लेकर हो रहे विवाद को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक ‘रोलओवर योजना’ का प्रस्ताव दिया है। इसके मुताबिक, अगले तीन गणतंत्र दिवस समारोहों में सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को अपनी झांकियां प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। हर साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लगभग 15 झांकियों का चयन किया जाता है। इसलिए सभी को मौका मिलना मुश्किल होता है। रोलओवर प्लान से सभी के पास मौका होगा। इसके तहत समझौते पर अभी तक 28 राज्य दस्तखत कर चुके हैं, जिनमें कर्नाटक भी शामिल है।
झांकियों का चयन गाइडलाइन के अनुसार : रक्षा मंंत्रालय
रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि थीम को ध्यान में रखते हुए इस बार सभी झांकियों का चुनाव किया गया है। पिछले साल झांकियों को लेकर विवाद बढ़ने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को बयान देना पड़ा था।
उन्होंने पत्र लिखकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से कहा था कि इस साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकियों का चयन पहले से तय गाइडलाइन के हिसाब से ही किया गया है। राजनाथ सिंह ने ऐसा ही एक पत्र ममता बनर्जी को भी लिखा था।
उन्होंने कहा था कि एक्सपर्ट कमेटी थीम, डिजाइन और विजुअल इफेक्ट के आधार पर प्रस्ताव का आकलन करती है और फिर सिफारिश देती है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में 2017, 2019, 2020 और 2021 में तमिलनाडु की झांकी को परेड के लिए चुना गया था।
सौजन्य: दैनिक भास्कर
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