स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी ‘दलितों पर हो रहे अत्याचार
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छुआछूत और जाति आधारित भेदभाव मिटाने के लिए स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद, सद्गुरु कबीर, महात्मा गांधी तथा अन्य महापुरुषों ने अनथक प्रयास किए, परंतु स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी देश में अनेक स्थानों पर दलितों के साथ भेदभाव जारी है।
छुआछूत और जाति आधारित भेदभाव मिटाने के लिए स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद, सद्गुरु कबीर, महात्मा गांधी तथा अन्य महापुरुषों ने अनथक प्रयास किए, परंतु स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी देश में अनेक स्थानों पर दलितों के साथ भेदभाव जारी है।
इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1989 में ‘अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम’ पारित किया था। इसके अंतर्गत अलग-अलग तरह के ऐसे 22 कृत्यों को अपराध माना गया है, जिनके कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित किसी व्यक्ति को अपमान का सामना करना पड़ता हो। इन दिनों जबकि देश में चुनाव समाप्ति की ओर बढ़ रहे हैं और सभी राजनीतिक दलों को दलित समुदाय के वोटों की जरूरत है, फिर भी दलितों पर अत्याचारों की घटनाएं हो रही हैं, जो निम्न में दर्ज हैं :
* 11 फरवरी, 2024 को उत्तर प्रदेश के अम्बेदकर नगर जिले के थाना ‘बेवाना’ में चंद दबंगों ने देसी कट्टे और पिस्तौल के साथ एक युवक को पीट डाला और अपने पैरों पर गिरा कर माफी मंगवाई।
* 13 फरवरी को गुजरात के गांधीनगर जिले के ‘चडासणा’ गांव में निकल रही दलित समुदाय के युवक की बारात में घोड़ी पर सवार दूल्हे को रोक कर उसे चांटा मारने के आरोप में 4 युवकों को गिरफ्तार किया गया। आरोपी युवकों ने उसे यह भी कहा था कि ‘‘इस गांव में हमारी मंजूरी लिए बिना तू घोड़ी पर कैसे बैठकर आया?’’
* 20 फरवरी को मध्य प्रदेश के ‘देवास’ में उज्जैन के एक दलित युवक के साथ किसी विवाद के चलते उसे बेरहमी से पीटने व अपने पैरों पर गिरा कर नाक रगड़वाने के आरोप में 3 युवकों को गिरफ्तार किया गया।
* 19 मार्च को बिहार के ‘वैशाली’ में पुलिस थाने के अंदर स्थित नल से रोहित पासवान नामक एक दलित किशोर द्वारा पानी भर लेने से नाराज होकर पुलिस वालों ने उसे बुरी तरह पीटने के बाद कमरे में बंद कर दिया।
* 1 अप्रैल को राजस्थान के अलवर जिले में हैंडपंप से पानी पीने के लिए दूसरे व्यक्ति की बाल्टी को नल के नीचे से हटाने पर बाल्टी के मालिक ने बालक को बेरहमी से पीट डाला और उसके परिवार के विरुद्ध जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल किया।
* 19 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में मेरठ के ब्रह्मपुरी इलाके में एक स्पोर्ट्स कारोबारी ने अपने गुर्गे भेज कर एक दलित युवक की चप्पलों से पिटाई करवाई तथा उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
* 11 मई को राजस्थान के बाड़मेर के ‘कलरो कातला’ गांव में एक दलित युवक को बंधक बनाकर बेरहमी से उसके साथ मारपीट करने, उसे पेशाब पिलाने और उसके गुप्तांग में लकड़ी डालने का मामला सामने आया।
* 14 मई को उत्तर प्रदेश के बरेली में ‘नाबागंज’ स्थित तहसील परिसर में 2 होमगार्डों रामपाल और वीर बहादुर नेे किसी बात पर नाराज होकर वीरेंद्र नामक दलित युवक को जमीन पर गिराकर लात-घूंसों और पैरों से मारपीट की और जातिसूचक गालियां निकालीं।
* 14 मई को ही उत्तर प्रदेश में प्रयागराज की ‘हाशिमपुर-छबीलेपुर’ ग्राम पंचायत के प्रधान रमेश व उनके परिजनों को पुरानी रंजिश के कारण चंद उच्च जातीय लोगों ने मारपीट करके घायल कर दिया।
* 15 मई को मध्य प्रदेश के ‘शहडोल’ जिले के ब्योहारी थाना क्षेत्र के ‘साखी’ गांव में एक शादी समारोह में बैंड बजाने वाले एक दलित युवक का मोबाइल पर किसी से बात करते समय ‘जय भीम’ बोलना कुछ दबंगों को नागवार गुजरा और उन्होंने ‘तू क्या बोल रहा है? ’ कह कर उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी।
* 19 मई को मध्य प्रदेश के ‘अशोक नगर’ जिले के ‘किलोरा’ गांव में एक युवक के किसी लड़की से छेड़छाड़ की घटना में शामिल होने पर गांव के दबंगों ने एक बुजुर्ग दलित दम्पति के साथ मारपीट करने के अलावा उन्हें जूतों की माला पहना कर अपमानित किया। धर्म व जाति के आधार पर किसी से भेदभाव या अपमानित करना गंभीर अपराध है। अत: ऐसा आचरण करने वाले लोगों को जब तक कठोर सजा नहीं मिलेगी तब तक यह कुरीति समाप्त नहीं हो सकती है।—विजय कुमार
सौजन्य :पंजाब केसरी
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