ट्रांसजेंडर को समाज की मुख्यधारा में लाना होगा: न्यायाधिकरण मुंबई
महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने बुधवार को कहा कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार और शिक्षा में ट्रांसजेंडर के लिए आरक्षण का निर्देश नहीं दे सकता, लेकिन सरकार को समुदाय को समाज के मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में और कदम उठाने चाहिए।
न्यायाधिकरण ने यह आदेश तीन ट्रांसजेंडर द्वारा दायर आवेदनों पर पारित किया जिनमें से दो ने पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए और अन्य ने ‘तलाठी (राजस्व अधिकारी) के लिए आवेदन किया था। आवेदकों ने महाराष्ट्र सरकार को ऑनलाइन आवेदन पत्र में तीसरे लिंग का विकल्प जोड़ने और सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रदान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
न्यायाधिकरण ने कहा कि वह महाराष्ट्र सरकार को आवेदकों को आरक्षण देने का निर्देश नहीं दे सकता, लेकिन कहा कि उन्हें कुछ रियायतें दी जा सकती हैं। न्यायाधिकरण अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मृदुला भाटकर और सदस्य मेधा गाडगिल द्वारा पारित आदेश में कहा गया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की अलग पहचान को स्वीकार करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें सार्वजनिक रोजगार में अवसर भी दिए जाने की जरूरत है।
न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में महाराष्ट्र सरकार को आवेदकों को कट-ऑफ अंक तक पहुंचने के लिए आवश्यक अनुग्रह अंक देने और संबंधित पदों के लिए कुल अंकों के 50 प्रतिशत तक पहुंचने वाले आवेदकों पर विचार करने का निर्देश दिया। न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि यदि किसी आवेदक की आयु निर्धारित आयु से अधिक है तो उन्हें 45 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर आयु में छूट दी जाए।
सौजन्य : एम एस एन
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