मणिपुर हिंसा का सच, दो आदिवासी गुटों की हुई लड़ाई
म्यांमार। म्यांमार से जुड़ा अवैध प्रवासी मणिपुर के कुकी और नागा जनजाति से ताल्लुक रखते हैं, कहा जा रहा है कि सरकार इन्हें सरकारी ज़मीन पर अफ़ीम की खेती करने से रोक रही है, पहला हिंसक विरोध प्रदर्शन 10 मार्च को हुआ था, जब कुकी गाँव से अवैध प्रवासियों को निकाला गया था! पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है, हालिया हिंसा चुराचांदपुर पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई, यहां पर रहने वाले लोग कुकी और नागा ईसाई धर्म से हैं, बता दें कि चार पहाड़ी जिलों में कुकी जाति का प्रभुत्व है!
मणिपुर में 16 जिले हैं, राज्य की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के तौर पर बंटी हुई है। इंफाल घाटी मैतेई बहुल हैं, मैतई जाति के लोग हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, मैतेई (हिंदू आदिवासी) समुदाय को अनुसूचित जाति दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में निकाले गए मार्च में हिंसा भड़क गई थी। मणिपुर की आबादी लगभग 28 लाख है, इसमें मैतेई (हिंदू दलित) समुदाय के लोग लगभग 53 फीसद हैं, मणिपुर के भूमि क्षेत्र का लगभग 10% हिस्सा इन्हीं लोगों के कब्जे में हैं, ये लोग मुख्य रूप से इंफाल घाटी में बसे हुए हैं, कुकी (ईसाई) जातीय समुह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही है।
कुकी (ईसाई) जनजाति मैतेई (हिंदू आदिवासी) समुदाय को आरक्षण देने का विरोध करती आई है, इन जनजातियों का कहना है कि अगर मैती समुदाय को आरक्षण मिल जाता है तो वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे, कुकी जनजातियों का ऐसा मानना है कि आरक्षण मिलते ही मैतेई लोग अधिकांश आरक्षण को हथिया लेंगे। पिछले 10 सालों से मैतेई समुदाय के लोग जो कि हिंदू आदिवासी धर्म को मानते हैं यह आरक्षण की मांग कर रहे थे लेकिन किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार की पहल से और केंद्र सरकार ने सिफारिश किया तब इन्हें आरक्षण का अधिकार मिला।
जिसका विरोध कुकी और नागा समुदाय (ईसाई) के लोग कर रहे हैं और यही दो धर्मों के बीच हिंसा की मुख्य वजह है और भाजपा किसके साथ है यह सब कुछ समझ में होना चाहिए भाजपा ने कभी भी हिंदुओं का साथ नहीं छोड़ा है। मैतेई जाति के लोगों का ये कहना है कि ST दर्जे का विरोध सिर्फ एक दिखावा है, कुकी आरक्षित वन क्षेत्रों में बस्तियां बना कर अवैध कब्जा कर रहे हैं, पहाड़ी और कस्बों के इलाके में कई जनजातियों द्वारा कब्जा की गई जमीनों को भी खाली कराया जा रहा है, जमीनों पर ज्यादातर कुकी समूह के लोग रहते हैं, यही वजह है कि चुराचंदपुर इलाके से हिंसा भड़की, यह कुकी बहुल है।
उत्तर भारत के ज्यादातर हिंदी भाषी लोगों को नॉर्थ ईस्ट के बारे में जानकारी नहीं है जिस वजह से कुछ राजनेताओं द्वारा लोगों को भड़काया जा रहा है और वह अपने ही हिंदू आदिवासी भाइयों को नहीं पहचान पा रहे हैं, यह जो मैंने पूरा लिखा है पूरा तथ्य के आधार पर है और यही कड़वी सच्चाई है तो कहीं से भी भाजपा को दोष देना उचित नहीं है, भाजपा आज भी अपने हिंदू दलित और आदिवासी भाइयों के साथ खड़ी है और खड़ी रहेगी। आरक्षण जो आपको मिला है मणिपुर में उसका कोई भी हिंदू विरोध नहीं कर रहा है, वहां पर विरोध इसाई कर रहे हैं और आपको मार भी ईसाई रहे हैं, इसलिए अभी भी वक्त है अपनों को पहचानिए और अपनों के साथ रहे।
सौजन्य : Janta se rishta
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