जातीय भेदभाव पर तपा सदन, मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने किया वाकआउट

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को प्रश्नकाल के बाद जातीय भेदभाव को लेकर विपक्ष ने वॉकआउट कर लिया। रामपुर के कांग्रेस विधायक नंद लाल ने प्वाइंट ऑफ आर्डर में मंडी देवता के नाम पर जातीय भेदभाव का मामला उठाया। उन्होंने सदन में पूछा कि बीजेपी के समय में ऐसे मामले सामने क्यों आ रहे है। इस पर सदन तपा भी ओर विपक्ष ने मामले की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने भेदभाव मामले पर चर्चा की मांग की।
लेकिन अध्यक्ष ने इसकी मंजूरी नहीं दी जिस पर विपक्ष ने सदन के अंदर ही नारेबाजी शुरू कर दी और सदन से वाकआउट कर किया।कांग्रेस विधायक नंदलाल ने कहा कि प्रदेश में दलित वर्ग के लोगों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ रही है। सरकार ऐसे मामलों पर गंभीर नही है। मंडी बल्ह की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि दलित परिवार की रसोई में पानी फैंका गया। कार्यक्रम के लिए बनाए गए खाने को लात मार दी। जातिसूचक शब्द भी कहे।
व्यक्ति बीजेपी का पूर्व पदाधिकारी है। प्रदेश में बीजेपी सरकार मनु वाद की स्मृति से ग्रस्त है। नंदलाल ने विषय पर विस्तृत चर्चा की मांग की। इसी बीच सीएम जय राम ठाकुर ने कहा कि मामले में बीजेपी का नाम घसीटना सही नही है। ऐसे मामले दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी वह निंदा करते है और सभी दलों को इसकी निंदा करनी ही चाहिए। बल्ह के कुल देवता के कार्यक्रम में जातीय भेदभाव का ताजा मामला भी निंदनीय है। इसको लेकर मामला भी दर्ज़ कर लिया गया है।
मामले में जांच के साथ ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है। मानवीय दृष्टिकोण से ऐसी घटनाएं नही होनी चाहिए। विधानसभा सत्र के पहले दिन प्रश्नकाल से पहले विपक्ष ने नियम 67 के अंतर्गत काम रोको प्रस्ताव की मांग की। भाजपा ने क्षेत्र विकास विधायक निधि की आखिरी किश्त जारी करने को लेकर सदन में चर्चा की मांग की। इसके बाद गहमागहमी के बीच बहस चलती रही, मगर बेनतीजा बहस के बीच विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। काफी देर हंगामे के बाद मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वाकआउट कर दिया।
सौजन : Himachal now news
नोट : समाचार मूलरूप से himachalnownews.com में प्रकाशित हुआ है| मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित है!