कानीवाड़ा हनुमान मंदिर: यहां दलित पुजारी करवाते हैं पूजा, बिना छत के रहते हैं भगवान, जानें वजह
जालोर के कानीवाड़ा हनुमान मंदिर में सैंकड़ों किलोमीटर दूर से भी भक्त आते हैं. माना जाता है कि कालीवाड़ा हनुमान सभी के कष्ट हरते हैं. निसंतान को संतान भी देते हैं. मंदिर के गर्भगृह में हनुमानजी की प्रतिमा है. उस पर श्रद्धालु सिंदूर, तेल और पन्नी चढ़ाते हैं. मंदिर की सेवा चार पुजारी परिवारों के हाथों में है. वे श्रद्धालुओं को हनुमानजी की गदा की प्रतिकृति से आशीर्वाद देते हैं.
कानीवाड़ा हनुमान मंदिर में बरसों से दलित पुजारी पूजा करते और करवाते आ रहे हैं. ये पुजारी खुद को गर्गाचार्य की संतान बताते हैं. करीब 10 पीढ़ियों से इन्हीं चार परिवारों के वंशज ही इस मंदिर के पुजारी हैं. यह मंदिर इस इलाके की सामाजिक समरसता को प्रदर्शित करता है. यहां बालाजी के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. दलित पुजारी उन्हें पूजा करवाते हैं. आशीर्वाद भी देते हैं.
कानीवाड़ा मंदिर संगमरमर के पत्थर से बना है. बड़ी बात यह है कि मंदिर में छत नहीं है. मान्यताओं के अनुसार यहां हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित नहीं किया गया था बल्कि वो प्रकट हुईं थी. हनुमान प्रतिमा के प्रकट होने के बाद इस मंदिर को बनाया गया था. पुराने लोग बताते हैं पहले कई बार मंदिर में छत डालने की कोशिश की गई थी लेकिन सफल नहीं हो पाई.
प्रचलित बातों के अनुसार जितनी बार भी मंदिर पर छत डालने की कोशिश की गई या तो वह गिर गई या फर आंधियों में उड़ गई. इसीलिए जब नया मंदिर बनाया गया तो उसमें भी छत रखी ही नहीं गई. किंवदंती तो यह भी कि यहां पहले जंगल था. उस जंगल में जब चोर आते थे तो वे अंधे हो जाते थे.
कानीवाड़ा मंदिर की एक और खासियत यह है कि यहां एक 13 अखंड ज्योत जलती हैं. यहां लोग मनौती लेकर आते हैं. मनौती पूरी होने पर अपनी-अपनी अखंड ज्योत जलाते हैं. मंदिर के पुजारी के अनुसार यहां राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा होना बाकी है. वह जल्द कराई जाएगी. इसके अलावा कानीवाड़ा गांव और आसपास के दूसरे गांवों में बहुत से लड़कों के नाम यहां भगवान हनुमान के नाम पर रखे जाते हैं. यहां हनुमान नाम के कई लोग हैं.
सौजन्य : News18
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