अल्मोड़ा में आठ महीने में दलित उत्पीड़न की चार घटनाएं
अल्मोड़ा : भले ही हम आजादी का अमृत काल मना रहे हो। लेकिन जातिवाद की विष बेल अभी भी समाज को जकड़े हुए है। यही कारण है कि कड़े नियम, कानून होने के बाद भी दलित उत्पीड़न, हिंसा आज भी हमारे समाज में व्याप्त है। कफल्टा कांड की रुह कंपा देने वाली घटना के चार दशक बाद भी दलित हिंसा, उत्पीड़न की घटनाओं की पृष्ठभूमि हमेशा तैयार रहती है।
नहीं थम रहा दलित उत्पीड़न
शुक्रवार को भिकियासैंण में अतर्जातीय विवाह करने वाले जगदीश चंद्र हत्याकांड ने साफ कर दिया कि अभी भी जातिवाद हमारी जड़ों में समाया हुआ है। बीते तीन माह पूर्व भी सल्ट में एक दूल्हे को घोड़े से उतार दिया गया था। अन्य जगहों पर भी भेदभाव की घटनाएं अक्सर सुनाई देते हैं। जब भी उत्पीड़न, हिंसा की होता है तो कफल्टा कांड की वह क्रूर घटना सामने आ जाती है। इस वर्ष आठ महीने में अनुसूचित जाति के लोगों के उत्पीड़न की चार घटनाएं सामने आ चुकी है। यह वह घटना है, जिसकी रिपोर्ट दर्ज हुई। रिपोर्ट न लिखवाने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
आज भी याद आता है कफल्टा कांड
9 मई 1980 उत्तराखंड के इतिहास की सबसे काली तारीखों में से एक है। इस दिन कुमाऊं के कफल्टा कांड हुआ था। जिसमें 14 दलितो की हत्या हो गई थी। जबकि कुछ लोगों ने भागकर अपनी जान बचाई थी। जिसके बाद दिल्ली से तत्कालीन गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह को भी मौके पर पहुंचे थे। आज तक भी यह वर्ग संघर्ष यदा कदा दिखाई देता है। जो सभ्य समाज के लिए भी कालिख से कम नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता सुशील जोशी, पीसी तिवारी, बीआर धौनी आदि ने बताया कि जातिवाद की जड़ों के खात्मे को लगातार चलने वाले सामाजिक आंदोलनों की जरुरत है।
जगदीश के बाद गीता को लेने आए आरोपित
एक सितंबर की पूर्वाह्न 11 बजे आरोपित जाेगा सिंह, गोविंद सिंह ने भिकियासैंण के पास से जगदीश चंद्र के साथ मारपीट की और अपहरण किया। इसके बाद दो लोग मुख्यालय स्थित दुगालखोला आए। यहां वह एडवोकेट नारायण राम के मकान में रहते थे। जहां वह जबरदस्ती गीता को ले जाने लगे। नारायण राम के स्वजनों से भी उन लोगों ने अभद्रता की और धमकी भी दी। इसकी भनक जब उन्हें लगी तो इसकी सूचना उन्होंने तत्काल एसएसपी को दी। जिसके बाद पुलिस के डर से वह गीता को अपने साथ नहीं ले जा पाए। दोनों लोगों में से एक गीता का सौतेला भाई और मां बताई जा रही है।
पनुवाद्योखन में हुआ अंतिम संस्कार
इधर कड़ी निगरानी में जगदीश चंद्र का शव सल्ट ब्लाक के पनुवाद्योखन ले जाया गया। जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहीं जिले के करीब सभी थानों से अतिरिक्त पुलिस बल बुलवा लिया गया।
विभिन्न संगठनों ने जताया रोष
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, उत्तराखंड लोक वाहिनी सहित अन्य अनेक संगठनों ने उपपा नेता जगदीश चंद्र ही निर्मम हत्या की घोर निंदा की है। दन्या के धौलादेवी में आयोजित बैठक में पनुवाद्यौखन निवासी जगदीश चंद्र पुत्र केश राम की अपहरण के बाद की गई हत्या पर गहरा रोष जताया गया। बैठक में राज्य आंदोलनकारी बसंत खनी, कौस्तुबानंद भट्ट, किशन सिंह खनी, राम सिंह भिलौला, राम सिंह खनी सहित अनेक लोगों ने भी रोष जताया।
सौजन्य : Dainik jagran
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