आज शायद ही कोई प्रमुख मंदिर मिलेगा, जहां जहां जाति के आधार पर किसी हिंदू को सीधे तौर पर प्रवेश न करने दिया जाता हो, बेशक गर्भगृह में प्रवेश पर कई जगह पाबंदी लागू हो (दिलीप मंडल) वायकोम सत्याग्रह […]
आज शायद ही कोई प्रमुख मंदिर मिलेगा, जहां जहां जाति के आधार पर किसी हिंदू को सीधे तौर पर प्रवेश न करने दिया जाता हो, बेशक गर्भगृह में प्रवेश पर कई जगह पाबंदी लागू हो (दिलीप मंडल) वायकोम सत्याग्रह […]
हम बचपन से सुनते आए हैं कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। लेकिन क्या यह दर्पण समूचे भारतीय समाज को दर्शाता है? ज़ाहिर तौर पर दर्पण है तो जिसके हाथ में होगा, वही उसमें दिखेगा। दलितों के पास साहित्य […]
बीएचयू के धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग ने ‘भारतीय समाज में मनुस्मृति की प्रयोज्यता’ पर शोध का प्रस्ताव दिया है. 21वीं सदी की तीसरी दहाई में जब दुनियाभर में शोषित उत्पीड़ितों में एक नई रैडिकल चेतना का संचार हुआ है, ‘ब्लैक लाइव्ज़ […]
भले ही शास्त्रीय मान्यता न हो, व्यवहार में जातिगत भेद भारत के हर धार्मिक समुदाय की सच्चाई है. अमेरिका जाने वाले सिर्फ़ हिंदू नहीं, अन्य धर्मों के लोग भी हैं. अमेरिका के सिएटल में लागू जातिगत भेदभाव संबंधी क़ानून सब […]
1992 में मैंने अपने सुलतानपुर प्रवास में एक कविता लिखी थी, “तब तुम्हारी निष्ठा क्या होती?’ उसे मैंने ‘नवभारत टाइम्स’ को भेजा। उन दिनों वहाँ विष्णु खरे संपादक थे। उन्होंने उसे ‘नव भारत टाइम्स’ के 31 मार्च 1992 के रविवारीय […]
सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को नया गाँव (बॉम्बे प्रेसीडेंसी) में हुआ था | जो पुणे शहर से 50 किलोमीटर की दुरी पर है | सावित्री बाई फुले विषमता भरे समाज की खामियों को दूर करने में […]
कुल चौतीस साल का जीवन। लेकिन इतनी कम उम्र में भी हिंदुस्तानी रंगमंच और नुक्कड़ नाटकों की दुनिया पर कैसी अमिट निशानी छोड़ गए सफ़दर हाशमी (1954–1989), इसका एक जीवंत दस्तावेज़ है सुधन्वा देशपांडे की किताब ‘हल्लाबोल : द डेथ […]
अभिव्यक्ति की आज़ादी क्या है? ये सवाल मन में आते ही, इसका जवाब ध्यान में नहीं आता लेकिन ये ज़रूर ख़्याल आता है कि ये कितना विवादित विषय हो सकता है| बहुत से पश्चिमी देशों में ‘कैंसल कल्चर’ या ‘ख़ारिज […]
“यह संविधान के सभी लेखों में सबसे महत्वपूर्ण है। यह संविधान के दिल की तरह है। जहां तक दलित वर्गों का संबंध है, हम आरक्षण तक ही सीमित हैं। यह लेख अन्य पहलुओं के बारे में बात करता है। यह […]
अकबर का सबसे वफादार किन्नर इतिमाद खान था, जो हरम की सुरक्षा से लेकर जासूसी जैसे काम करता था।डच व्यापारी फ्रेंचिस्को पेल्सर्ट 17वीं शताब्दी में जब मुगल दरबार में पहुंचा तो उसकी आंखें फटी रह गईं। वजह मुगल सल्तनत में […]
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