Lucknow News: दलित हूं, महिला हूं पर न कभी डरी, न रुकी बस, चलती रही

लखनऊ। समाज कल्याण विभाग और मेटाफर लिटफेस्ट की ओर से आयोजित भागीदारी साहित्य उत्सव के पहले दिन पद्मश्री डॉ. कल्पना सरोज लोगों से रूबरू हुईं। उन्होंने कहा, ””मैं दलित हूं, महिला हूं, पर न कभी रुकी और न कभी डरी और हमेशा चलती रही। सपनों का पीछा करने में जाति कभी आड़े नहीं आती।””
बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में महाराष्ट्र से आईं उद्यमी पद्मश्री डॉ. कल्पना सरोज ने आदिवासी समाज के जननायक बिरसा मुंडा को याद कर अपने जीवन संघर्ष की यात्रा साझा की। उपस्थित श्रोताओं से अपील की कि किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भी पीएम मोदी आत्महत्या के विषय में सोचने वाले लोगों को उनका उदाहरण देते हैं। लोकगायिका गिन्नी माही और डॉ. कल्पना सरोज ने एक साथ मंच से महिला सशक्तीकरण की मिसाल पेश की।
कुलपति प्रो. शिव कुमार द्विवेदी, कुलसचिव प्रो. यूवी किरण, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. नरेंद्र कुमार व मेटाफर की संस्थापक कनक रेखा चौहान समेत शहर की कई हस्तियां मौजूद रहीं। बताया कि मुख्य उद्देश्य समाज के वंचित वर्गों के लिए सरकार के प्रयासों की जानकारी पहुंचाना है।
युवा पीढ़ी से ही नए समाज का निर्माण संभव
समाज कल्याण (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री असीम अरुण ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि सामाजिक विषमताओं को दूर करने के लिए दलित, ट्रांसजेंडर, आदिवासी और हाशिये पर रहने वाले समुदायों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए विशेषकर युवाओं समेत सभी को एक होना होगा। युवा पीढ़ी से ही सामाजिक परिवर्तन एवं नए समाज का निर्माण संभव है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार समाज के वंचित, पिछड़े और मुख्यधारा से छूटे नागरिकों के लिए तेजी से काम कर रही है।
झुग्गियों से निकली प्रतिभा देख दंग रह गए लोग
इनोवेशन फॉर चेंज की ओर से झुग्गी से निकली प्रतिभाओं को फैशन शो के जरिये मंच पर उतारा गया। उनकी गजब की प्रतिभा और आत्मविश्वास देख हर कोई दंग रह गया। खुद के बनाए कपड़ों में रैंप वॉक व नृत्य कौशल देख सभी चकित थे।
गिन्नी माही के गीत पर बजीं तालियां
पंजाबी लोकगायिका गिन्नी माही ने अपने गीतों के जरिये महफिल लूट ली। कहा कि 26 नवंबर को जन्म लेने के कारण वह बाबासाहेब से गहरा भावनात्मक जुड़ाव महसूस करती हैं, क्योंकि इसी दिन भारतीय संविधान अपनाया गया था। गिन्नी माही के गाने ””चारों ओर अंधेरा जब था इस संसार में छाया”” पर खूब तालियां बजीं।
सौजन्य: अमर उजाला
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