छुआछूत का मामला आया सामने:झामुल ग्राम के पीड़ित वर्गों ने अजाक्स थाने में की शिकायत, दलित बच्चों के बाल तक नहीं काटते नाई
संविधान में समता का अधिकार, सभी लोगों को धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का अंत करता है, बावजूद इसके आज भी समाज में एक जाति वर्ग के साथ भेदभाव जैसी आज भी विद्यमान है। आधुनिकता के इस दौर में छुआछूत पर भेदभाव करने जैसी घटनाएं, अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों से आती है। जहां आज भी सामाजिक, धार्मिक और आम कार्यों में एक जाति वर्ग से भेदभाव किया जाता है।
ऐसे ही भेदभाव का शिकार हो रहे बिरसा तहसील के झामुल ग्राम में निवासरत अनुसूचित जाति समुदाय के कई परिवार, जिन्होंने 4 अप्रैल को ग्राम में सामाजिक कार्यक्रमों में किए जा रहे भेदभाव से प्रताड़ित होकर अजाक्स थाने में उन लोगों के खिलाफ नामजद शिकायत है, जिन्होंने ऐसा किया।
बताया जाता है कि गांव में एक ओबीसी परिवार में विवाह का कार्यक्रम था, जिसका आमंत्रण, छुआछूत की भावना को लेकर एक जाति विशेष के लोगों को नहीं दिया गया। यही नहीं बल्कि यह भी कहा गया है कि यदि वे आएंगे तो अन्य लोग शादी में नहीं आएंगे और जब यह पंचायत प्रतिनिधियों ने कही तो निश्चित ही इसके खिलाफ आवाज उठनी चाहिए। यही कारण कि अनुसूचित जाति के ग्राम निवासियों ने इसकी शिकायत अजाक्स थाने में की है।
सामाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र मेश्राम की मानें तो गांव में अनुसूचित जाति के परिवारों के साथ भेदभाव किया जाता है, उन्होंने कहा कि यह पहले से हो रहा है लेकिन अब ज्यादा होने लगा है, जो हमारे लिए शर्मसार करनी बात है, हमारा मानना है कि जाति के आधार पर छुआछूत की भावना नहीं होनी चाहिए।
महिला हस्तकला मेश्राम ने बताया कि आज भी ग्राम के बुजुर्ग इसे मानते है। पहले सार्वजनिक जल स्त्रोत से पानी भरने के दौरान ऐसा होता था लेकिन अब घरों में नल लग गए है, लेकिन भेदभाव नहीं मिटा है। गांव में बच्चों के बाल तक नाई नहीं काटते हैं, जिससे बच्चों को दूसरे गांव जाकर बाल बनवाना पड़ता है।
सौजन्य :दैनिक भास्कर
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