ट्रांसजेंडर को क्यों खिलाई बंगाली एक्टर ने मिठाई? इस अनोखे त्योहार के बारे में नहीं सुना होगा आपने!
कोलकाता. अपने अधिकारों की लड़ाई को लेकर ट्रांसजेंडर सुर्खियों में लगातार बने हुए हैं. समाज में अपनी समानता के लिए संघर्ष कर रहे ट्रांसजेंडरों के समर्थन में कई सेलिब्रिटी पहले भी आ चुके हैं और अब सोशल मीडिया पर एक बंगाली एक्टर की वो तस्वीरें ट्रेंड में हैं, जिनमें वह एक पारंपरिक बंगाली त्योहार के मौके पर ट्रांसजेंडरों को समानता और स्वीकार्यता देते दिखे हैं. आसनसोल बेस्ड एक्टर सुमन चौधरी के इस फोटोशूट के साथ ही आपको बताते हैं कि यह अनोखा बंगाली पर्व कौन-सा है.
‘दादार दादागिरी’ टाइटल से सुमन को मैसेज वायरल हो रहा है. असल में समलैंगिक लड़कियों (Trans-Girls) को समानता का हक दिलवाने के पक्ष में आए सुमन ने ‘जमाई षष्ठी’ पर्व पर ऐसे ही एक जोड़े के साथ परंपराएं निभाईं. सुमन ने कहा ‘अन्य जमाइयों की तरह इन्हें भी वही स्थान मिलना चाहिए. अगर इनके परिवार ही इन्हें सपोर्ट नहीं करेंगे तो कौन करेगा!’
सुमन के साथ इन तस्वीरों में दिखे एक और एक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता संदीप बोस 4का कहना है ‘दादार दादागिरी फोटोशूट समलैंगिकों के अधिकारों के लिए एक लड़ाई है. ये लोग समाज के ही हिस्से हैं. इन्हें अधिकारों और स्नेह से वंचित नहीं रखा जा सकता. किसी भी अन्य के बराबर ही इनको दर्जा दिया जाना चाहिए. इसलिए हमने इनके साथ ‘जमाई षष्ठी’ मनाई.’
क्या है जमाई षष्ठी और इसका महत्व?
हिंदू कैलेंडर के जेठ महीने के छठवें दिन खास तौर से बंगाल में यह त्योहार परंपरागत ढंग से मनाया जाता है. जमाइयों यानी दामादों (Son in Laws) को उनका ससुराल पक्ष इस दिन विशेष स्नेह, सम्मान, भोज और भेंट देता है. यह दो पक्षों या परिवारों के आपसी जुड़ाव और लगाव को सेलिब्रेट करने का पर्व है. इस मौके पर पूड़ी, पकवान और संदेश जैसे विशेष बंगाली व्यंजन भी बनते हैं. विशेष तौर से सास (Mother in Laws) अपने जमाई के लिए थाली पकाती व परोसती है.
समय के साथ इसका स्वरूप बदला है. अब यह सेलिब्रेशन पूरे परिवार के लिए खास मौका होता है. कई बंगाली परिवारों में पूजा भी होती है और इस त्योहार का संबंध छठी मैया के साथ बताया जाता है. बंगाली परिवारों ‘फोटा’ और ‘षष्ठी सुतो’ बांधने जैसी परंपराएं निभाई जाती हैं. यह त्योहार सदियों से मनाया जाता रहा है और आज भी इसे लेकर उत्साह देखा जाता है.
सौजन्य : News18
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