लोकसभा चुनाव के लिए मायावती ने बनाई खास रणनीति
बसपा को विपक्षी दलों ने खुद किनारे कर रखा है। यही कारण है कि मायावती ने अलग रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। मायावती ने इसके लिए अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद को लगाया है।
लखनऊ. लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गईं हैं। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं तो दूसरी ओर विपक्ष एकजुट होने लगा है। हालांकि, विपक्ष में कई पार्टियां अभी भी हैं, जो अलग राह पर चल रहीं हैं। इन्हीं में बहुजन समाज पार्टी भी है। बसपा को विपक्षी दलों ने खुद किनारे कर रखा है। यही कारण है कि मायावती ने अलग रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। मायावती ने इसके लिए अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद को लगाया है।
मायावती और आकाश ने मिलकर लोकसभा चुनाव के लिए मास्टर प्लान भी बनाया है। इसके जरिए बसपा भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ विपक्ष को भी कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही है। आइए जानते हैं इसके लिए बसपा ने क्या प्लान बनाया है? कैसे लोकसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति बेहतर करने की तैयारी है?
इसे समझने के लिए हमने बसपा के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता से बात की। उन्होंने बताया कि हाल ही में बसपा प्रमुख मायावती ने हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, जम्मू कश्मीर और झारखंड के पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनी। बसपा प्रमुख ने पार्टी के पदाधिकारियों का हौसला बढ़ाया और जीत का मंत्र भी दिया। बसपा नेता ने आगे पांच बिंदुओं में पार्टी की रणनीति भी बताई।
1. कोर वोटर्स को वापस पार्टी से जोड़ने की कोशिश : बसपा का कोर वोटर्स सबसे मजबूत रहे हैं। बसपा से दलित वर्ग का वोटर जुड़ा रहा है, लेकिन पिछले कुछ चुनावों से दूसरे दलों ने पार्टी के कोर वोटर्स में ही सेंध लगा दी है। अब इन वोटर्स को वापस पाने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं को जमीन पर उतारने की तैयारी है।
2. युवाओं को जोड़ने के लिए आकाश आनंद करेंगे काम: दलित वोटर्स के बिखराव में भीम आर्मी बड़ा कारण रही है। अब वापस दलित युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए आकाश आनंद खुद जिम्मेदारी संभालेंगे। आकाश सोशल मीडिया से लेकर लोगों के बीच लगातार जाएंगे, जिससे वह सीधे दलित युवाओं के संपर्क में आ सकें।
3. आरक्षण का मुद्दा उठाने की तैयारी: बसपा ने एक बार फिर से आरक्षण का मुद्दा जोरशोर से उठाने का फैसला लिया है। सरकारी और बैकलॉग भर्तियों में आरक्षण के जरिए युवाओं की भर्ती और नौकरियों का मुद्दा भी उठाने की भी तैयारी है। इसमें ओबीसी वर्ग के युवाओं को भी जोड़ने की कोशिश है।
4. उम्मीदवारों के चयन पर भी फोकस: पार्टी ने उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में भी बदलाव करने का फैसला लिया गया है। अब उम्मीदवारों के चयन से पहले सर्वे भी कराया जाएगा। फिर उन्हीं को टिकट दिया जाएगा, जिसका सर्वे में ज्यादा जिक्र होगा।
5. दूसरी पार्टी के नेताओं को भी जोड़ने की कोशिश होगी: बसपा ने जिन नेताओं को बनाया, उन्होंने मुश्किल समय में पार्टी छोड़ दी। ऐसे में अब पार्टी ने दूसरे दलों के नेताओं को भी पार्टी से जोड़ने की रणनीति बनाई गई है। जाति और धर्म के आधार पर नेताओं को पार्टी से जोड़ा जाएगा। इसके जरिए लोकसभा चुनाव में फायदा बंटोरने की कोशिश होगी।
2012 के बाद से बसपा का प्रदर्शन यूपी समेत कई राज्यों में गिरता जा रहा है। अभी लोकसभा में बसपा के नौ सदस्य हैं। राज्यसभा में अब सिर्फ एक सीट बची है। अलग-अलग राज्यों के विधानसभा और विधानपरिषद में भी बसपा के केवल सात सदस्य हैं।
2022 में हुए यूपी चुनाव में बसपा को केवल एक ही सीट मिली थी।
मध्य प्रदेश में 2018 में हुए चुनाव में पार्टी ने दो सीट पर जीत सकी थी।
राजस्थान में 2018 में हुए चुनाव में बसपा के छह उम्मीदवार चुनाव जीते थे, हालांकि बाद में सभी ने दल बदलकर कांग्रेस जॉइन कर ली।
छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए चुनाव में बसपा के दो उम्मीदवार विधायक चुने गए थे।
2020 बिहार विधानसभा चुनाव में बसपा के एक उम्मीदवार की जीत हुई थी।
दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश के चुनावों में पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया।
सौजन्य : Asb news india
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