ट्रां सजेंडर होने के चलते मुझे नहीं भेजा जाता था कोर्ट- वकील पद्मा लक्ष्मी ने बयां की संघर्ष की दास्तान
बतौर ट्रां सजेंडर सामने आने वालीं केरल की पहली महिला वकील पद्मा लक्ष्मी ने उन संघर्षों को बयां किया है जो उन्हें ट्रां सजेंडर होने मात्र की वजह से झेलना पड़ा। उनका कहना है किउन्हें एक फर्म में तीन-चार महीने में ही नौकरी खोनी पड़ी थी। इन तीन-चार महीनों में भरपूर काम करने के बावजूद उन्हें वकालत पर नहीं भेजा जाता था। उन केस में भी नहीं,हीं जिन पर काम उन्हीं से करवाया जाता था।
वकालत की काबिलियत रखने के बावजूद उन्हें लीगल क्लर्क बना कर छोड़ दिया गया था। पद्मा लक्ष्मी ने जब 19 मार्च को बतौर ट्रां सजेंडर वकील केरल बार काउंसिल (KBC) की सदस्यता ली तो उन्हें केरल की पहली ट्रां सजेंडर वकील कहा गया। लेकिन, पद्मा का कहना है किअसल में कई ट्रां सजेंडर वकील हैं, लेकिन वह आधिकारिक तौर पर बता नहीं रही हैं। इसकी एक बड़ी वजह उनके साथ होने वाला भेदभाव है।
नहीं करने दी गई वकालत, आवाज़ उठाने पर नौकरी भी गई
ज्यूडिशियरी से जुड़ी खबरों को प्रकाशित करने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच को दिए एक इंटरव्यू में पद्मा ने बताया है कि कैसे उन्हें एक नौकरी से निकाल दिया गया। पद्मा बताती हैं कि उन्होंनेन्हों नवंबर 2022 में सामाजिक मुद्दों को लेकर बहुत एक्टिव रहने वाले एक वकील के ऑफिस को ज्वाइन किया था। उन्हें इस नौकरी से बहुत उम्मीद थी। वह अपना काम पूरी मेहनत और लगन से करती थीं।थीं यहां तक कि उन्होंनेन्हों ऑफिस के खर्चे भी कम कराए।
पद्मा जिन मामलों (Cases) पर काम रही थी, उनकी वकालत के लिए भी उन्हें कभी कोर्ट नहीं जाने दिया गया। वह कहती हैं, “मैं वकील का कोट और गाउन पहनकर एक वकील के क्लर्क का काम कर रही थी।” इस बारे में जब पद्मा ने एक दूसरे वकील से बात की और वह बात उनके बॉस के कानों तक पहुंची तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
इस नौकरी से निकाले जाने के बाद पद्मा को एहसास हुआ कि उनके समुदा य को नौकरी देने को लोग एहसान या दान के रूप में देखते हैं। 25 अप्रैल को बार एंड बेंच की वेबसाइट पर प्रकाशित इंटरव्यू में उन्होंनेहों बताया था किवह शिद्दत से जूनियर वकील की नई नौकरी खोज रही हैं। एक सप्ताह बाद पद्मा को कोच्चि की एक फर्म में नौकरी मिली।
‘मैं पहली ट्रां सजेंडर वकील नहीं ’हीं
मार्च 2023 में केरल बार काउंसिल (KBC) की सदस्यता लेने पर पद्मा लक्ष्मी चर्चा में आयी थीं।थीं केरल के कानून मंत्री पी राजीव ने खुद उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई दी थी। वह केरल की पहली ट्रां सजेंडर महिला वकील (Padma Lakshmi Kerala First Transgender Lawyer) हैं। हालांकि पद्मा इस बात को स्वीकार नहीं करतीं कि वह केरल की पहली ट्रां स वूमेन लॉयर हैं। वह इस तथ्य को दूसरे तरह से देखती हैं।
उनका कहना है कि वह केरल की पहली ट्रां सजेंडर वकील नहीं हैं। बल्कि खुले तौर अपनी पहचान (जेंडर एक्सप्रेसन) बताकर केबीसी की सदस्यता लेने वाली पहली ट्रां स वूमेन लॉयर हैं। वह इससे जुड़ा एक किस्सा भी सुनाती हैं, “केरल बार काउंसिल (KBC) की सदस्यता लेने के लिए किए गए आवेदन को देखने के बाद एक वकील ने मुझे बुलाया। उन्होंनेन्हों मुझसे पूछा कि क्या मैं केरल में एनरोल करने वाली पहली ट्रां सजेंडर वकील हूं? मैंने मैं जवाब में कहा- संभवत: मैं पहली ट्रां स वकील नहीं हूं। पहला, दूसरा और तीसरा ट्रां स वकील शायद हमारे बीच खड़ा है।
कानूनी बिरादरी में अब भी हाशिए पर LGBTQ+ पद्मा जोर देकर कहती हैं कि भारत भर में कई ट्रां सजेंडर वकील हैं। लेकिन वह अपनी पहचान उजागर नहीं करते। ऐसा इसलिए है कि क्योंकिक्यों कानूनी बिरादरी में अब भी LGBTQIA+ समुदाय के सदस्यों का खुले दिल से स्वागत नहीं किया जाता है। वह कहती हैं, “देखिए सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल के साथ क्या हो रहा है। कहा जा रहा है कि खुले तौर पर गे होने के कारण उन्हें जज नहीं
बनाया जा रहा है। यही स्थिति है!
सौजन्य : Jan satta
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