मैं लेबर पेन से तड़प रही थी, वो जेठ और ससुर को गोलियां मार रहे थे

मध्यप्रदेश के दमोह जिले का देवरान गांव। एक दलित परिवार की सुरक्षा के लिए यहां पिछले 10 दिन से 24 घंटे पुलिस का पहरा है। यह वही दलित परिवार है, जिसके 3 सदस्यों की दिवाली की अगली सुबह गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या करने वाले गांव के ही पटेल परिवार के लोग थे। जब दलितों के माथे और सीने पर गोलियां दागी गईं, तब घर की बहू प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। उसने अपनी आंखों के सामने ससुर, जेठ और सास को मरते देखा।
अपने घर में 10 दिन की बेटी को गोद में लेकर बैठी सजबाई उस दिन को याद करते ही सिहर उठती हैं- ‘हमरे परिवार तो सबेरे ग्रहण लग गया। मुझे लेबर पेन हो रहा था और बाहर परिजन की हत्याएं। अब जब तक पुलिस है तब तक भरोसा है, उसके बाद हमारी रक्षा कौन करेगा? हमें कहीं और बसा दो।’
दलित परिवार के 3 लोगों की हत्या के इस मामले में अब भी राजनीति जारी है। बसपा प्रमुख मायावती दलितों की सुरक्षा को लेकर प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुकी हैं। कांग्रेस ने अपना जांच दल गांव भेजा था। इस मामले में नामजद सभी 7 आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।
पुलिस के मुताबिक, पीड़ित परिवार के एक सदस्य द्वारा आरोपी परिवार की 32 साल की एक महिला को छेड़ने के विवाद में हत्याएं की गईं। हालांकि, पीड़ित परिवार का दावा है कि जमीन विवाद में हत्याएं की गई हैं। पीड़ित अहिरवार परिवार की शिकायत है कि हमला करने वाले 18 लोग थे। पुलिस ने 11 के नाम ही दर्ज नहीं किए। दूसरी ओर आरोपियों के परिवार के सभी लोग अपना घर छोड़कर गांव के दूसरे छोर एक अन्य रिश्तेदार के यहां रह रहे हैं।
दैनिक भास्कर टीम पहुंची देवरान गांव और जानी क्या है ग्राउंड रियलिटी। घटना के 10 दिन बाद भी गांव में दहशत है। घटना को लेकर कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
पहले जान लीजिए 25 अक्टूबर को हुआ क्या था…
25 अक्टूबर की सुबह करीब सवा 6 बजे देवरान गांव में दलित परिवार के 3 सदस्य घमंडी लाल अहिरवार (60), पत्नी राजप्यारी अहिरवार (58) और बड़े बेटे मानकलाल अहिरवार (32) की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मानकलाल अहिरवार की पत्नी सीता की शिकायत पर दमोह देहात थाने की पुलिस ने जगदीश पटेल, पत्नी वंदना, बेटे शुभम और सौरभ, घनश्याम पटेल, चाचा कोदू पटेल, भतीजा मनीष के खिलाफ हत्या सहित एससी-एसटी व अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है।
पुलिस सातों आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। महेश अहिरवार की ओर से एसपी को दी गई शिकायत में दावा किया गया है कि विवाद में पटेल परिवार के कुन्नू, कब्बि, संतोष रानी, मानसी, खटोरा, मुन्ना, दीपक, नारायण, मानसिंह, रवि और राजा भी शामिल थे। पुलिस ने इन्हें आरोपी नहीं बनाया। आरोप लगाया कि ये खुलेआम घूम रहे हैं और राजीनामे के लिए धमका रहे हैं।
परिवार के लोगों ने फिर हमले की आशंका व्यक्त की है। तिहरे हत्याकांड के बाद से गांव में पुलिस का पहरा है। आरोपी परिवार की महिलाएं और बच्चे तक घर छोड़कर गांव में दूसरे घर में रह रहे हैं। यहां के घर में ताला लगा हुआ है। घर के दरवाजे पर प्रशासन का नोटिस चस्पा है।
इधर लेबर पेन शुरू हुआ, उधर गोलियां चलने लगीं
सूर्यग्रहण का दिन (25 अक्टूबर) था । मुझे लेबर पेन शुरू हो गया था। पति से कहा कि अस्पताल जाना पडे़गा। जेठ मानकलाल घर के सामने पड़े एक पत्थर पर बैठे दातून कर रहे थे। मेरे पति महेश आंगन में बैठ थे, तभी पड़ोस में रहने वाले जगदीश पटेल और उनके परिवार के 15 से 18 लोग बंदूक, तलवार, लाठी लेकर आ धमके। जेठ मानकलाल से उनकी कुछ कहासुनी हुई। इसके बाद वे जातिगत शब्द बोलते हुए गालियां देने लगे। थोड़ी ही देर में मैंने सुना कि उनमें से ज्यादातर कह रहे थे कि आज इसका खेल खत्म कर देते हैं।
दिवाली की शाम को भी इन्होंने गाली-गलौज की थी। धमकी दी थी कि सुबह तक यह जमीन और गांव छोड़कर चले जाना नहीं तो अंजाम बुरा होगा। अगले दिन वे फिर आ धमके थे, लेकिन इस बार उनके पास हथियार और बंदूकें थीं। वो जा ही रहे थे कि मेरे जेठ ने मेरे सास-ससुर से कहा कि हमें पुलिस से शिकायत करना चाहिए। यह सुनकर वे बौखला गए। पलटे और सामने की सड़क से तीन बंदूक और कट्टों से गोलियां बरसाने लगे।
पहली और दूसरी गोली मेरे जेठ मानकलाल के सिर में लगी, लेकिन वे उठकर खड़े हो गए। यह देखकर जगदीश पटेल और उसके परिवार ने एक के बाद एक मेरे जेठ के सीने, पेट व जांघ पर गोली मारी, वो जोर से चीखे यही उनकी आखिरी चीख थी। इस तरह से उन्हें 5 गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। यह सब मेरी आंखों के सामने हो रहा था, लेकिन मैं कुछ नहीं कर पा रही थी। मुझे लेबर पेन हो रहा था।
ससुर के सिर में गोली मारी, उनकी खोपड़ी उड़ गई
इसके बाद वे मेरे ससुर घमंडी लाल अहिरवार (60) की ओर बढ़े। मेरे ससुर 5 साल से लकवा से पीड़ित थे। अपने बेटे (मानकलाल) को मरता देख वो बचाने दौड़े तो पटेलों ने ससुर के सिर पर गोली मार दी। उनकी खोपड़ी उड़ गई और वो वहीं गिर पड़े। इसके बाद उनका अगला निशाना मेरी सास राजप्यारी (58) थी। उन्होंने सास के पेट में गोली मारी, जिससे उनकी आंतड़ियां बाहर आ गईं। इसके बाद भी वो मौत से संघर्ष करती रही और एक घंटे तक जिंदा रहीं।
प्राण छोड़ने से पहले सास ने एक लोटा पानी मांगा और पीकर सदा के लिए शांत हो गईं। इससे पहले हमने पुलिस और एम्बुलेंस को लगातार फोन मिलाया, लेकिन वे डेढ़ घंटे बाद आए, जब तक सब खत्म हो चुका था। वो सास-ससुर व जेठ की लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए ले गए।
किस्मत अच्छी थी कि मेरा सुहाग उजड़ने से बच गया
गोली मेरे पति महेश को भी लगी थी। गोली उनकी जांघ को छेदकर निकल गई। मेरी किस्मत अच्छी है कि मेरा सुहाग उजड़ने से बच गया। दीवार में फायरिंग से हुए छेद बताते हुए वे कहती हैं कि ये निशान देखिए और अंदाजा लगा लीजिए कितनी गोलियां चली होंगी। एक सप्ताह बाद मेरे पति दमोह अस्पताल से डिस्चार्ज होकर लौटे हैं, लेकिन अब भी नहीं चल पा रहे हैं। दो लोगों का सहारा लेना पड़ता है।
मेरे छोटे देवर बालकदास ने कमरे में छिपकर किसी तरह जान बचाई थी। घटनास्थल की जमीन की ओर इशारा करते हुए सजबाई कहती हैं कि देखिए खून के निशान आज भी जस के तस हैं। हमारे गांव में अहिरवार समाज के 3 परिवार ही रहते हैं। बाकी सब पटेलों के घर हैं। वे हमें कई बार धमका चुके हैं कि गांव छोड़कर चले जाओ। इस कांड के बाद हम भी यहां नहीं रहना चाहते। सरकार हमें कहीं और बसा दे नहीं तो यह हमारे बाकी परिवार को भी खत्म कर देंगे।
पटेल परिवार करते हैं छुआछूत, धुलवाते थे हैंडपंप
आंखों के सामने पति को खो चुकी सीता अहिरवार कहती हैं कि हमें तो अब भी छुआछूत का सामना करना पड़ रहा है। घर के सामने रोड किनारे लगे सरकारी हैंडपंप से ही पानी भरते हैं। हमारे परिवार के लोग जब भी हैंडपंप छूते हैं, तो पटेल परिवार पूरा हैंडपंप धुलवाता है। जातिगत टिप्पणी करके कहते हैं कि हमारे छूने से ये हैंडपंप गंदा हो गया। आज भी हमारे समाज के लोग इस गांव में घोड़ी नहीं चढ़ सकते। सीता आगे बताती हैं कि रह-रहकर वो दृश्य मेरी आंखों के सामने आ जाता है।
25 अक्टूबर की सुबह मेरे पति दातून कर रहे थे, तभी पटेल परिवार के लोग पहुंचे और धमकी देने लगे और बोले कि भागो नहीं तो बंदूकें चलेंगी। पति, देवर, सास और ससुर रिपोर्ट कराने जाने वाले थे। उससे पहले वो खून की होली खेल कर चले गए। उस समय मैं भी यहीं खूनी खेल देख रही थी। बच्चों को बचाने के प्रयास में मैं अपने पति को नहीं बचा पाई। छोटी देवरानी प्रेग्नेंट थी, वो भी किसी तरह अपने और बच्चों को बचा रही थी।
जब तक पुलिस है, तो साहस है। पुलिस नहीं रहेगी तो हमारी सुरक्षा कौन करेगा? बीड़ी बनाकर बच्चों को पाल रही हूं। पति मजदूरी करते थे। अब वे रहे नहीं, तो बच्चों को पढ़ाई लिखाई कैसे होगी? सरकार कोई छोटी-मोटी या चपरासी की नौकरी दिला दे। मैं बच्चों को पाल लूंगी। हम अब यहां नहीं रहना चाहते। प्रशासन की ओर से अभी 8.25 लाख रुपए का चेक मिला है।
घर में छिपकर मैंने खुद को बचाया
परिवार के सबसे छोटे बेटे बालकदास (26) ने बताया कि मैं आंगन में था, तभी पटेलों से बड़े भाई मानकलाल की कहासुनी शुरू हुई। मैं कुछ समझ पाता इससे पहले गोलियां बरसने लगीं। मैं भागकर घर में नहीं छिप गया होता तो मेरी भी लाश पड़ी होती। वे मां-पिता व भाई की जान लेने के बाद पूरे परिवार को जान से मारना चाहते थे। मेरी आंखों के सामने मेरी मां ने दम तोड़ दिया। भाई और पिता को बचा न पाया। जब तक पुलिस है, तब तक तो हम सुरक्षित हैं, लेकिन जब पुलिस नहीं होगी तो हमारी कौन सुरक्षा करेगा? अब इस गांव में हमारा परिवार सुरक्षित नहीं।
भास्कर: आखिर विवाद की वजह क्या है?
बालकदास कहते हैं कि जगदीश पटेल के परिवार की नजर हमारी जमीन पर है। वे इसे खाली कराना चाहते हैं। दिवाली की शाम भी धमकी दी थी कि सुबह तक गांव छोड़कर चले जाओ। ये जमीन हमारे पिता को सरकार ने पट्टे पर दी है। हम इसे कैसे छोड़कर चले जाएं।
भास्कर: पटेल परिवार का दावा है कि उनके परिवार की महिला को तुम्हारा भाई मानकलाल छेड़ता था?
बालकदास ने सवाल पूरा होने से पहले ही हमसे सवाल किया कि क्या हम गरीब परिवार के लोग ऐसी हिम्मत कर सकते हैं? हम अपनी बहन-बेटियों को उनकी बुरी नजर से बचा लें, ये क्या कम है। वो तो इस विवाद को डायवर्ट करने का प्रयास है। आरोपी परिवार अपने बचाव में इस तरह का अनर्गल आरोप लगा रहा है। मेरा भाई शादीशुदा था। उसके 4 बच्चे हैं। मजदूरी करने वाले हमारे परिवार की कहां औकात कि किसी महिला को छेड़ दें।
पुलिस भी आरोपी परिवार की बात को ही सच मान रही है। असल विवाद तो जमीन का है। घर के हिस्से में पटेल परिवार द्वारा बढ़ाकर कराए गए निर्माण की ओर इशारा करते हुए बालकदास ने बताया कि ये देख लीजिए। यही विवाद की वजह है। पुलिस दबाव में है और छेड़छाड़ को सच मान बैठी है। मेरे मृतक भाई के खिलाफ छेड़छाड़ का प्रकरण भी दर्ज कराया है।
छह दिन बाद अस्पताल से मिली छुट्टी
तिहरे हत्याकांड में घायल महेश अहिरवार सातवें दिन 31 अक्टूबर को दमोह जिला अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचे थे। पुलिस की सुरक्षा में डायल-100 से उन्हें और रिश्तेदारों को घर छोड़कर गई। पुलिस ने सकुशल घर पहुंचाने के बाद बतौर सबूत मोबाइल से फोटो और वीडियो भी बनाए। महेश अहिरवार की जांघ में गोली लगी थी। अब भी वे खुद की बजाए भाई व भतीजे के कंधे का सहारा लेकर चल पा रहे हैं।
इसी तरह सड़क से घर तक पहुंचे। पिता को छह दिन बाद देख दो साल का बेटा हुकुमचंद पहुंचा। पिता की कलाई पर लगे पट्टी को सहलाते हुए तोतली जुबान में पूछा, पापा ये क्या लग गया है?
महेश अहिरवार ने बताया कि दिवाली की शाम को धमकी दी थी कि सुबह मकान खाली कर देना। सुबह मैं दातून कर रहा था, तभी वे आ धमके और गोली चलाने लगे। 18 लोगों में 7 लोगों को ही पुलिस ने गिरफ्तार किया बाकी लोग घूम रहे हैं। वे कभी भी मेरे परिवार पर हमला कर सकते हैं।
हत्या की दो वजह, पुलिस छेड़छाड़ पर कर रही जांच
आरोपी जगदीश पटेल और घमंडीलाल अहिरवार का घर सटा हुआ है। घमंडीलाल के घर के सामने रोड पर लगे हैंडपंप से दोनों परिवार पानी भरते हैं। अहिरवार परिवार का दावा है कि विवाद घर की जमीन को लेकर है। जबकि जगदीश पटेल की पत्नी ने मानकलाल अहिरवार पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। दावा किया है कि वह हैंडपंप पर जा रही थी, तब मानकलाल अहिरवार उसे घूर रहा था। एक दिन पहले भी दोनों परिवारों के बीच कहासुनी हुई थी।
गांव वाले बोले- असली जड़ जमीन विवाद है
दैनिक भास्कर ने सच जानने के लिए गांव के दूसरे लोगों से बात की। कैमरे पर आने से बचते हुए पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने बताया कि 4 दिन से दोनों परिवारों में कहासुनी हो रही थी। घमंडी अहिरवार के घर से सटी जमीन जगदीश पटेल की है, उसने कुछ समय पहले ही उसे खरीदा था। इसके बाद पक्की ईंट की दीवार खड़ी कर टीनशेड डाला है। इस दीवार को लेकर भी दोनों परिवारों में विवाद था। घमंडी के परिवार का दावा है कि जगदीश पटेल ने उसकी जमीन अतिक्रमण कर निर्माण कराया है। गांव की महिला ने छेड़छाड़ की बात से मना किया है।
यही सवाल भास्कर ने एसपी दमोह डीआर तेनीवार से किया। एसपी का कहना है कि यह तो पहले दिन से स्पष्ट है कि मृतक मानकलाल ने आरोपी जगदीश पटेल की पत्नी को छेड़ता था। घटना की सुबह भी उसने छेड़ा। इसके बाद ये घटना हुई। सभी आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। तनाव को देखते हुए गांव में पुलिस तैनात है। भास्कर ने फिर पूछा कि पीड़ित परिवार का दावा जमीन संबंधी है, तो एसपी बोले कि उसकी भी जांच करा रहे हैं। आरोपियों की संख्या पर बोले कि अन्य भी आरोपी होंगे तो जांच के बाद उनके नाम भी शामिल कर लेंगे।
एक अतिक्रमण तोड़ा, परिवार को 8.25 लाख रुपए मिले
प्रशासन ने इस तिहरे हत्याकांड के बाद घमंडीलाल अहिरवार के घर के सामने रोड के दूसरी ओर सरकारी जमीन पर बना एक निर्माण तोड़ दिया। यहां किराना दुकान थी। मलबा अब भी वहीं पड़ा है। जगदीश पटेल के घर पर नोटिस चस्पा किया है। वो जमीन भी सरकारी बताई जा रही है। हालांकि प्रशासन ने उसे नहीं तोड़ा है। घमंडीलाल अहिरवार का घर भी सरकारी जमीन पर बना हुआ है, लेकिन परिवार के लोगों का दावा है कि इसका पट्टा है। इस तिहरे हत्याकांड को लेकर राजनीति भी हो रही है। बसपा और कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया है। बसपा लगातार ज्ञापन और प्रदर्शन कर रही है।
अब जान लीजिए राजनीतिक दल क्या कहते हैं
पूर्व सीएम कमलनाथ द्वारा घटनास्थल पर कांग्रेस अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार को भेजा था। प्रदीप ने कहा कि भाजपा सरकार में दलितों पर अत्याचार बढ़ गया है। दलितों को सुरक्षा देने में सरकार फेल हो रही है।
यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह अंधकार युग जैसी ताजा घटना मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार में क़ानून-व्यवस्था के साथ-साथ गरीबों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं की सुरक्षा के मामले में सरकारी विफलता की पोल खोलती है।
केंद्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल ने इस घटना पर कहा कि दमोह ज़िले के देवरान गांव में हत्याओं ने अंतर्मन को झकझोर दिया। यह वीभत्स और दु:खद है। मृतकों के परिजनों को ईश्वर संबल प्रदान करें, मैं संयम का आग्रह करता हूं। ऐसी घटनाओं के कारकों और कारणों पर गंभीर विमर्श की जरूरत महसूस करता हूं, ताकि शांति और सौहार्द का ताना-बाना बना रहे।
सौजन्य : Dainik bhaskar
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