2 दलित प्राचार्यों को नियुक्त न कराने पर 2 एडेड कॉलेजों की भंग होगी कमेटी, उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किया नोटिस
यूपी : उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से चयनित प्राचार्यों को ज्वाइन न कराने वाले दो एडेड महाविद्यालयों की मैनेजमेंट कमेटी को भंग करने की प्रक्रिया विभागीय आदेश के बाद शुरू हो गई है। इसमें एक कॉलेज शाहजहांपुर का स्वामी सुकदेवानंद पीजी कॉलेज है तो दूसरा कानपुर का एसएन सेन कॉलेज है। इनकी मैनेजमेंट कमेटी को भंग कर वहां पर डीएम को प्रशासक बनाया जाएगा। फिर आयोग से चयनित प्राचार्यों को ज्वाइन करवाया जाएगा। दो प्रचार्यों को ज्वाइन कराने का विवाद एक साल से ज्यादा समय से जारी है। पिछले वर्ष तक प्रदेश भर के 331 एडेड महाविद्यालयों में से 290 में प्रचार्यों के पद खाली थे। यह सभी कॉलेज प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहे थे। कई सालों से प्राचार्य की भर्ती लंबित थी। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से 2019 में प्राचार्य की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर दी थी। भर्ती होने के बाद उच्च शिक्षा निदेशालय ने चयनित प्राचार्यों को कॉलेज भी आवंटित कर दिया गया, लेकिन कॉलेजों की मैनेजमेंट कमेटी की मनमानी से दो प्राचार्यों को ज्वाइन नहीं कराया गया।
इसमें एक कॉलेज शाहजहांपुर का स्वामी सुकदेवानंद पीजी कॉलेज है। इस कॉलेज के अध्यक्ष स्वामी चिन्मयापंद हैं। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के बरेली कॉलेज के शिक्षक राकेश कुमार आजाद को प्राचार्य नियुक्त किया था। उन्हें शिक्षा निदेशालय ने स्वामी सुकदेवानंद पीजी कॉलेज का प्राचार्य बनाकर भेजा था। वह नवंबर 2021 में कॉलेज पहुंचे तो उन्हें नियुक्ति जारी कर दिया गया, लेकिन काम नहीं करने दिया गया। उन्होंने इसकी सूचना निदेशालय को दी। वहां पर प्रबंधन ने अनुराग अग्रवाल को प्रभारी प्राचार्य बना दिया। आयोग से चयनित प्राचार्य को ज्वाइन न कराने पर उच्च शिक्षा निदेशालय से चार बार नोटिस भेजा गया। इसके बावजूद उन्हें ज्वाइन नहीं कराया गया। कानपुर एसएन सेन कॉलेज में तो डॉ. सुमन को ज्वाइन ही नहीं कराया गया।
दोनों का पाप यही है कि वे दलित हैं AIFUCTO उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व जोनल सेक्रेटरी और एचआरपीजीकॉलेज संतकबीरनगर में वाणिजय विषय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेश चन्द्र मिश्र का कहना है कि नियुक्ति प्रक्रिया साल भर से ज्यादा समय से जारी है। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में प्राचार्य के 290 पदों पर विज्ञापन संख्या-49 के तहत पिछले साल अगस्त में भर्ती की थी। इनमें से 50 प्राचार्यों ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। इस पर उच्च शिक्षा विभाग ने इसी महीने प्रतीक्षा सूची से चयन की तैयारी की थी लेकिन एक अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी। अब कोर्ट का फैसला आने के बाद ही इन पदों पर स्थिति स्पष्ट हो पायेगी।
दूसरी तरफ जिन दो कॉलेजों के चयनित प्राचार्य को नियुक्त नहीं कराया गया उनका पाप यहीं है कि दोनों दलित हैं और सीएम योगी के गृह नगर गोरखपुर से हैं। एक पुरुष और एक महिला हैं। जानकारी के मुताबिक निदेशालय ने उच्च शिक्षा विभाग को उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक बीएल शर्मा ने नोटिस जारी होने की बात स्वीकार की है। अब डीएम दोनों कॉलेज के प्रशासन बनेंगे और वहीं चयनित प्राचार्य को जिम्मेदारी सौंपेंगे। खास बात यह है कि जिन दो कॉलेजों ने चयनित प्राचार्य को नियुक्त नहीं कराया वो दोंनों के प्रबंधकों का ताल्लुक कानपुर से है। दोनों सवर्ण हैं। शाहजहांपुर कॉलेज वाले तो संत हैं और अटल जी के सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं। जाति से बाबू साहब हैं। इन प्राचार्यों का चयन आयोग ने किया था। उसके बाद निदेशालय ने नियुक्ति पत्र जारी किया था।
सौजन्य : Janjwar
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