नोएडा में बने मायावती पार्क की हालत ‘कूड़ा घर’ जैसी
राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल और ग्रीन पार्क (Park) नोएडा का एक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित पार्क है जिसे उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बनाया था. 82 एकड़ में फैला यह पार्क अच्छी स्थिति में नहीं है.
मैंने हाल ही में मेमोरियल पार्क का दौरा किया जिसमें डॉ बीआर अंबेडकर, कांशी राम और मायावती की मूर्तियां हैं. इससे पहले कि मैं उस हॉल में पहुंच पाती जहां मूर्तियां रखी गई हैं, कई जगहों पर मेरा स्वागत कूड़े से हुआ.
पूरे पार्क में कूड़े के ढेर फेंके गए थे. जहां तक मुझे पता है, पार्क के अंदर धूम्रपान की अनुमति नहीं है, फिर भी सिगरेट के रैपर फेंके हुए थे. ऐसा ही एक पार्क लखनऊ में बनाया गया है वह कहीं अधिक व्यवस्थित है. उसके मुकाबले यहां कम लोग आ रहे हैं.
फव्वारा काम नहीं कर रहा
पार्क परिसर के अंदर एक बहुत बड़ा फव्वारा बना हुआ है, लेकिन वह काम नहीं कर रहा है. अंदर की गंदगी से पता चलता है कि टैंक में ज्यादा पानी नहीं रखा गया है. बीच में कुछ हिस्सा टूटा हुआ नजर आ रहा है. अगर फव्वारा काम कर रहा होता, तो यह वास्तव में काफी सुंदर दिखता.
मैंने फव्वारे के बारे में पूछा कि यह काम क्यों नहीं कर रहा है. तो ड्यूटी पर मौजूद गार्ड ने मुझसे शिकायत रजिस्टर में मुद्दों को लिखने के लिए कहा क्योंकि वह मुझसे कैमरे पर बात करने को तैयार नहीं था.
कई लाइटें काम नहीं कर रही थीं
जब अंधेरा होने लगा तो लाइटें काम नहीं कर रही थीं. पार्क के केंद्र में और हाथी की मूर्तियों के पास केवल कुछ प्रकाश बल्ब थे. लेकिन पार्क के दोनों ओर कोई लाइट की व्यवस्था नहीं है. कई लाइट बल्ब भी टूट हुए हैं.
मैंने पार्क में एक विजिटर से बात की.
“हम तिलक नगर से पार्क घूमने आए हैं. वीडियो में जब हम इसे देखते हैं, तो यह एक खूबसूरत जगह की तरह दिखता है, लेकिन यहां आने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यह गंदा है. पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. यह बहुत गर्म हो जाता है. एक कैंटीन यहां होता तो सही रहता. हमें पीने का पानी खरीदने के लिए बाहर जाना पड़ता.”
लोग आमतौर पर इस प्रकार के स्थानों का आनंद लेते हैं, लेकिन समस्या यह है कि खराब रखरखाव और पीने के पानी जैसी सुविधाओं की कमी के कारण विजिटर निराश हैं. न तो फव्वारा और न ही रोशनी ठीक से काम कर रही है और कई जगहों पर कचरा पाया जा सकता है.
सौजन्य : thequint
नोट : यह समाचार मूलरूप से thequint.com में प्रकाशित हुआ है. मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है !