पलायन का दंश झेल रहे MP के मजदूरों को मामूली राहत

खंडवा . ये हैं खरगोन जिले के भगवानपुरा ब्लॉक के ग्राम थरपुर के रामसिंह चौहान। इनके दो बेटे कान्हा 7 वर्ष और भारत 4 वर्ष है, इनकी उम्र स्कूल जाने की हो गई है, लेकिन स्कूल में दाखिला नहीं दिला पाए।
कारण ये पिछले 8 सालों से गुजरात, महाराष्ट्र के अलग—अलग शहरों में मजदूरी के लिए भटकते रहते हैं। अभी दो दिन पहले ही ये परिवार गुजरात से लौटा है। ज्यादा पारिश्रमिक के चाह में ये घर छोडऩे को मजबूर हैं। रामसिंह तो सिर्फ एक बानगी है। पूरे प्रदेश में हजारों परिवार ऐसे हैं, जो ज्यादा मेहनताना की तलाश में एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश भटकते रहते हैं। अभी हाल में केंद्र सरकार ने मनरेगा के पारिश्रमिक की नई दरें घोषित की हैं, इसमें मप्र में 5.7 फीसदी की बढोत्तरी की गई, इसके बावजूद मप्र और छत्तीसगढ़ अभी भी सबसे कम मजदूरी देने वाले राज्य हैं। देशभर के अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इससे ज्यादा मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है।
दो वर्ष से लगा पिछड़ेपन का दाग
इससे दो वर्ष पहले तक बिहार, झारखंड जैसे राज्य सबसे कम पारिश्रमिक का भुगतान करते थे, लेकिन पिछले वर्ष से मप्र, छग सबसे पीछे हो गया। इस बार की बढोत्तरी में भी प्रदेश पर सर्वाधिक पिछड़े होने का दाग नहीं छूटा। सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी गोवा में 21 रुपए की गई। अब यहां श्रमिकों को 315 रुपए प्रतिदिन मिलेंगे। हरियाणा में मजदूरों को 16 रुपए के बढोत्तरी के साथ सर्वाधिक 331 रुपए मिलेंगे।
800 रुपए तक मजदूरी
बाजार में मजदूरों को 400 से 600 रुपए तक मिलते हैं। कृषि सीजन में कई बार 800 रुपए या इससे भी अधिक भी मिल जाते हंै। खासकर, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाण और पंजाब में ये ट्रेंड प्रचलन में है। इसके चलते ही मप्र और छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में मजदूर इन प्रदेशों में पलायन करते हैं।
मनरेगा को बंद करने पर तुली सरकार
पूरे देश में मनरेगा के तहत मजदूरों को मिलने वाली राशि मप्र में सबसे कम है। एक तरह से यह मजदूरों का अपमान भी है। दूसरी ओर यह राशि भी मजदूरों को कभी समय पर नहीं मिलती। सरकार खुद मनरेगा को बंद करने पर तुली हुई है। प्रदेश के लाखों आदिवासी, दलित मजदूर पलायन कर महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक में बंधुआ मजदूरी करने को मजबूर है।
माधुरी बेन, जागृत आदिवासी दलित संगठन
सरकार की कोशिश है कि पलायन वाले क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा उद्योग लगें, इसके लिए सरकार ने बुंदेलखंड और आदिवासी इलाकों को चिन्हित किया है। उद्योगपतियों से बात हुई है, उद्योगों में नियोजन के बाद कम पारिश्रमिक की समस्या नहीं रह जाएगा।
बृजेंद्र प्रताप सिंह, श्रम मंत्री, मध्यप्रदेश सरकार
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सबसे ज्यादा पारिश्रमिक देने वाले राज्य
राज्य 22-23 21-22 20-21 19-20 बढोत्तरी
हरियाणा 331 315 309 284 16
गोवा 315 294 280 254 21
केरल 311 291 291 271 20
कर्नाटक 309 289 275 249 20
सबसे कम पारिश्रमिक देने वाले राज्य
झारखंड 210 198 194 171 12
बिहार 210 198 194 171 12
एमपी 204 193 190 176 11
छत्तीसगढ़ 204 193 190 176 11
सौजन्य : Patrika
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