1700 परिवार पीएम आवास से अपात्र, क्योंकि अफसरों को इनकी झोपड़ियों में दिखे पक्के मकान, कारें

उदयपुर जिले की आदिवासी तहसील कोटड़ा की 66 ग्राम पंचायतों के 1696 परिवारों का पक्के मकान में रहने का सपना दो साल से आंखों में ही घूम रहा है। इन्हें ये मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने थे, लेकिन सर्वे ऑनलाइन फीडिंग, जियो टैग के कामों में हुई लापरवाही के चलते सभी को अपात्र घोषित कर दिया गया। रिजेक्ट होने के कारण भी ऐसे हैं कि विश्वास करना मुश्किल है। जिन परिवारों के आवास रिजेक्ट हुए हैं, अफसरों को उनकी खजूर के पत्तों और मिट्टी से बनी दीवारें सीमेंट-कंक्रीट की नजर आई। झोपड़ी में लैंडलाइन फोन तो पार्किंग में कार भी नजर आई।
कुछ मजदूर परिवार तो पांच एकड़ कृषि, नाव के मालिक बता दिए गए, जबकि हकीकत यह है कि इनकी छतों से बरसात में पानी टपकता है तो दीवारें सर्दी में हवाओं से नहीं बचा पाती। समाजसेवी रूपलाल खेर ने बताया कि आवास प्लस योजना में क्षेत्र की 66 ग्राम पंचायतों के 2638 परिवारों को आवास स्वीकृत किए गए हैं।
सबसे अधिक आवास उखलियात-ढेडमारिया में रिजेक्ट
सुलाव में तो ग्रामीणों को नाव मालिक बता दिया
सबसे अधिक आवास ग्राम पंचायत ढेडमारिया में रिजेक्ट हुए। यहां 382 परिवार के आवास रिजेक्ट हुए। 364 के पहले से घर होना बताया।
उखलियात ग्राम पंचायत में 226 आवास रिजेक्ट किए। 216 झोपड़ियों में लैंडलाइन बताए।
झेड ग्राम पंचायत में 126 आवास रिजेक्ट किए। 117 के घरों में लैंडलाइन फोन बताए।
मेडी ग्राम पंचायत में 78 परिवारों के आवास रिजेक्ट हुए। 74 परिवारों के घरों में लैंडलाइन फोन लगे बताए।
लांबाहल्दू पंचायत में 105 आवास रिजेक्ट किए। 92 के यहां लैंडलाइन फोन बताए।
सुलाव में 73 परिवारों को अपात्र किया। 52 के घर लैंडलाइन, 6 को नाव मालिक, कुछ को दोपहिया और चार पहिया मालिक बताया।
धधमता पंचायत में 39 आवास रिजेक्ट किए। 21 के 5 एकड से अधिक भूमि बताई। इसके अलावा आधार कार्ड गलत होना बताए।
टेलीफोन वाले मामले सुधार रहे
टेलीफोन से रिजेक्ट मामले सुधारने के लिए लिखा है। संपत्ति और पक्के मकान से जो अपात्र हुए हैं, उन्हें ग्राम सभा कर जोड़ा जाएगा। इस बार पूरा ध्यान रखेंगे कि आवेदन में कोई कमी न रहे। सर्वे 2 साल पहले हुआ था। फिर भी जांच करवाएंगे। -धनपतसिंह राव, विकास अधिकारी, कोटड़ा
खजूर के पत्तों और मिट्टी की दीवारें सीमेंट-कंक्रीट की दिखी, बरसात में टपकती हैं, सर्दी में हवाएं ठिठुरा देती हैं
केस 1 : मनीष पुत्र आशिया का आवास भी रिजेक्ट कर दिया है। इसका कारण पक्का मकान होना बताया गया है, जबकि झोपड़ी की कच्ची दीवार जगह-जगह से ढही हुई है। लकड़ियों की छत पर प्लास्टिक डाला हुआ है।
केस 2 : लुक्काराम काे पहले से मकान मालिक बताया, जबकि वह मजदूरी कर परिवार पाल रहा है। झोपड़ी के नाम पर खजूर के पत्तों की दीवारें और तिनकों की छत है, जो न बारिश रोक पाती है और न सर्द हवा।
कहां, कितने आवास रिजेक्ट
कोटड़ा29, कुकावास09, उमरिया06, कउचा19, क्यारी12, खजूरिया24, खाकरिया17 अन्य पंचायतों में भी आवास रिजेक्ट हुए हैं।
सौजन्य : Dainik bhaskar
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