भूमि विवाद के बहाने आदिवासियों का हो रहा शोषण
नगर स्थित गोंडवाना भवन परिसर में सोमवार को अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के संयोजन में जन सुनवाई हुई। जन सुनवाई में जल-जंगल और जमीन के मुद्दों पर चर्चा हुई। यूनियन की अध्यक्ष सुकालो देवी ने कहा कि कोविड के बहाने भूमिहीन, कृषि मजदूर, वन श्रमजीवी, प्रवासी मजदूर, मछुआरा वर्ग की आजीविका को नए संकट में ढकेल दिया गया। पिछले कुछ वर्षों में लोगों की आवाज दबाने का एक नया दौर शुरू हो गया।
उन्होंने कहा कि वनाधिकार कानून हमें जंगल में रहने का अधिकार देता है और सरकार की जिम्मेदारी तय करता है कि वह वन आश्रितों को जमीन और लघु वन उपज पर उनके मालिकाना अधिकार को मान्यता दें, लेकिन सरकार इस कानून का उल्लंघन करते हुए हमारा हक छीन रही है। पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड ने कहा कि जंगल क्षेत्र से बेदखल करने के लिए आदिवासियों को नोटिस देकर उजाड़ा जा रहा है, इसका जवाब सरकार को दिया जाएगा। कार्यक्रम में कैमूर क्षेत्र मजदूर किसान संघर्ष समिति, पाठा दलित आदिवासी अधिकार मंच, कैमूर मुक्ति मोर्चा, ग्राम वनाधिकार समिति के पदाधिकारियों सहित प्रिया, मुनीजा खान, राजकुमारी, विनोद पाठक, जिला पंचायत सदस्य जुबेर आलम, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अभिनय जायसवाल, राजू शर्मा आदि मौजूद रहे।
सौजन्य : Amar ujala
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